कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या का मास्टर माइंड विकास दुबे कानपुर वाले की उज्जैन के महाकाल मंदिर से जिस प्रकार गिरफ्तारी हुई है वह कुछ और कहानी कह रही है। कानपुर में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने का मास्टर माइंड विकास दुबे जिस प्रकार दिल्ली, फरीदाबाद से वापस उप्र की सीमा में होकर जिस प्रकार वीरवार की सुबह उज्जैन के महाकाल मंदिर तक पहुंच गया वह पुलिस की समस्त कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। पहले कानपुर से फरीदाबाद तक एवं इसके बाद वापस प्रदेश की सीमाओं को पार कर जिस प्रकार मध्य प्रदेश पहुंचा उसने अकेले उप्र की ही नहीं, बल्कि जिन राज्यों से होकर वह गुजरा है उन सभी राज्यों की पुलिस की कार्यप्रणाली को संदिग्ध बना दिया है। इसने यह भी साबित कर दिया कि विकास दुबे कानपुर वाला जैसा उसने उज्जैन में चिल्ला चिल्लाकर कहा था अत्यंत शातिर दिमाग वाला है अथवा उसके पीछे कोई और बड़ा दिमाग काम कर रहा है। उप्र पुलिस को नोएडा में इलझाए रखकर जिस प्रकार वह निजी वाहन से मध्य प्रदेश में उज्जैन पहुंच गया वह निश्चित ही मिलीभगत का खेल है। यदि सूत्रों पर भरोसा किया जाये तो पुलिस विभाग में नीचे से लेकर ऊपर तक उसके संबंध है, वहीं खाकी के साथ ही खादी भी उसकी मददगार रही है। माफिया, पुलिस व राजनीति का यह गठजोड़ प्रदेश की राजनीति पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। वह भी तब जब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराधियों के पीछे पड़े हो। इस गिरफ्तारी की जब तक उच्चस्तरीय जांच नहीं होगी तब तक हकीकत से पर्दा नहीं उठ सकेगा। जांच होने पर उप्र के साथ ही मप्र के पुलिस अधिकारियों के साथ ही खादी पहनने वालों के चेहरे भी बेनकाब हो सकेंगे।