दरबार साहिब समेत दो दिनों में बेअदबी की दो घटनाएं। घटनाओं में शामिल युवकों की भीड़ द्वारा हत्या। यह कोई साधारण घटनाक्रम नजर नहीं आता। इसके पीछे किसी बड़ी साजिश तो नहीं। पंजाब को नजदीक से जानने वालों का तो यहीं मानना है कि अब जब पंजाब में कांग्रेस में चल रही सिर फुटोव्वल के साथ ही शिरोमणी अकाली दल भी संकट में नजर आ रहा है। यह सबकुछ आप की बड़ी आमद की संभावना के साथ ही भाजपा का कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ मिलकर चुनाव लड़ना। यहीं सबकुछ इसके पीछे हो सकता है। पंजाब को यदि उग्रवाद की विभीषिका को वर्षों तक सहन करना पड़ा तो इसके पीछे भी पंजाब में सत्ता की राजनीति का ही खेल रहा था। भिंडरावाला भी राजनीतिज्ञों की देन था। बाद में भस्मासुर बनें जनरैल सिंह को मारा भी गया। अब पंजाब की राजनीति जिस मोड़ पर खड़ी है उसे देखते हुए तो यहीं लगता है कि बेअदबी की घटनाएं कहीं न कहीं कोई बड़ी साजिश का हिस्सा है। यदि किसान आंदोलन को लें तो इस आंदोलन को भी विदेश से सहायता मिलने के आरोप लगते रहे हैं। जिस प्रकार की घटनाएं हो रही है उसे देखते हुए केंद्र एवं पंजाब सरकार को मिलकर इस साजिश को बेनकाब करना चाहिये। देश हित से बड़ा कोई हित नहीं हो सकता। यदि दोनों आरोपियों को मारा नहीं जाता तो साजिश से कुछ हद तक पर्दा उठ सकता था। लेकिन कहीं भीड़ में साजिश करने वाले शामिल हो और उन्होंने ही भीड़ को भड़काया हो। हर पहलू की जांच होनी आवश्यक है।