… सम्मेलन में कितने ओबीसी
दो दिन पहले फूल वाली पार्टी का ओबीसी सम्मेलन गाजियाबाद खासकर शहर विधानसभा में आयोजित हुआ। यह कहने की आवश्यकता नहीं कि ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष गाजियाबाद महानगर के निवासी है। इतना ही नहीं दमदार पदाधिकारी भी जिले के हैं। लेकिन मंच पर अथवा सभा में ओबीसी की कितनी हिस्सेदारी रही यह चर्चा का विषय बना है। इसका कारण यह है कि मंच पर गैर ओबीसी का ही जमावड़ा था। जब मंच पर यह स्थिति हो तो मंच की सामने की स्थिति को समझा जा सकता है। इस को लेकर दबी जुबान में एक पदाधिकारी दरबारी लाल से कहते हैं भाई साहब ओबीसी मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष या संयोजक बनने से क्या होता है, समाज के बीच पैठ भी होनी चाहिये। हालांकि उनकी अध्यक्षता से पार्टी वाले भी खुश नजर नहीं आते।
बात स्तर की नहीं, जनता के बीच जाना जरूरी
चुनाव के नजदीक आते सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों ने जगह जगह विकास कार्यों का शुभारंभ या उद्घाटन करना प्रारंभ कर दिया। किंतु शहर में एक जनप्रतिनिधि ऐसे भी थे जो स्वयं ना जाकर अपने प्रतिनिधियों से योजनाओं का उद्घाटन और शुभारंभ कराने में लगे थे। जब उनसे पूछा गया कि शहर के विधायक कहां हैं तो जवाब आता था वे प्रदेश के मंत्री भी हैं और छोटे छोटे शिलान्यास उद्घाटन उनके स्तर के नहीं है, किंतु सोमवार को हिंडन विहार में वही प्रदेश सरकार के मंत्री जी पार्षद निधि के विकास कार्यों का शुभारंभ करने पहुंचे। अब इसको क्या कहेंगे समय की मांग या फिर चुनाव की आहट। फिलहाल जो भी हो लगता है मंत्री जी समझ गए हैं कि स्तर को छोड़ जनता के बीच जाना जरूरी है, अब विधायक निधि के बजाय पार्षद निधि के कार्य क्यों ना हो ।