किसान आंदोलन समाप्त करने की घोषण होने के बाद किसानों ने अपने तंबू भी दिल्ली की सीमाओं से समेटने शुरू कर दिये हैं। हालांकि रास्ते पूरी तरह से साफ होने में अभी समय लगेगा। अब हर तरफ चर्चा शुरू हो गई है कि किसानों की जीत हुई है अथवा मोदी सरकार पांच राज्यों के चुनाव से पहले अपने मिशन में सफल हो गई है। इन मुद्दों पर हर तरफ मंथन शुरू हो गया है। किसानों के समर्थक विश्लेषक इसे किसानों की जीत करार देंगे। दूसरी तरफ सरकार के पैरोकार यह बताने का प्रयास करेंगे कि वे अन्नदाता को पूरी तरह से समझा नहीं पाये कि उनका कृषि कानूनों से क्या लाभ है तथा एमएसपी से उन्हें क्या नुकसान है। ये मुद्दे अभी कई दिनों तक चर्चा में रहेंगे। किसानों समेत सभी लोग लगातार मंथन भी करेंगे। लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा दिल्ली की सीमाएं खुलने का था। सीमाओं पर डटे किसानों के कारण चारों तरफ से दिल्ली आना- जाना सबसे कठिन काम हो गया था। खासकर रोजी रोटी के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वालों को परेशानी अधिक थी। घंटों उन्हें जाम से जूझना पड़ता था। सर्वोच्च न्यायालय में भी यह मुद्दा विचाराधीन है। आंदोलन समाप्त होने से अब दिल्ली आना- जाना सुगम होगा। समय के साथ ही डीजल- पेट्रोल की खपत भी घटेगी। सच कहा जाये तो कुंडली, सोनीपत, गाजियाबाद, बहादुरगढ़, रोहतक, जयपुर के मार्ग पर सफर आसान होगा यह सबसे बड़ी बात है। इससे बढ़कर यह भी कि सड़कों पर जो टोल बूथ निष्क्रिय थे वे सक्रिय होंगे एवं एनएचएआई फिर से टोल वसूली करेगी। बहरहाल किसान आंदोलन का समाप्त होना राहत की बात है। बाकि बातें अगले कुछ दिनों में।
मंथन में मैथ के मक्खन निकलते है आप, सादर नमन आपकी लेखनी को