Dainik Athah

वोट बैंक की राजनीति, तुष्टिकरण और प्रलोभन ही सपा की पहचान

चुनावी मौसम के रुदाली अखिलेश यादव की सच्चाई जानते हैं अन्नदाता

सपा शासन में गोलियों से भून दिए निर्दोष कारसेवकों के परिजनों को मुआवजा देने का कभी ख्याल नहीं आया अखिलेश को

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
चुनावी मौसम में किसानों के लिए रुदाली बने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की सच्चाई अन्नदाता जानते हैं। अपने पूरे पांच साल के कार्यकाल में किसानों की बजाय परिवार पर केंद्रित रहे अखिलेश को अब उनके सम्मान की बात याद आ गई। धनराशि देने का प्रलोभन शुरू हो गया। निश्चित ही किसान ही नहीं, हर व्यक्ति का जीवन अनमोल है लेकिन सपा मुखिया को यह भी स्पष्ट कर देना चाहिए कि क्या रामभक्त कारसेवकों के जीवन का कोई मोल नहीं था? क्या शहीद कारसेवकों के परिजनों को मुआवजा नहीं मिलना चाहिए था? इसका जवाब सपा के पास नहीं होगा क्योंकि वोट बैंक की राजनीति, तुष्टिकरण और चुनाव सिर पर देख प्रलोभन देना ही सपा की पहचान है।

यह बातें कैबिनेट मंत्री व प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्थार्नाथ सिंह ने कही। वह बुधवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के उस ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे, जिसमें उन्होंने किसान शहादत सम्मान राशि देने की बात कही है।

एक बयान में सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि किसान सपा और उसके नेता के लिए वोट बैंक होंगे लेकिन हमारी सरकार और पार्टी के लिए वे सदैव अन्नदाता थे, हैं और रहेंगे। यही वजह है कि किसानों के लिए भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में जो कुछ कहा था, वह सबकुछ पूरा कर दिखाया है। भाजपा शासन में किसान हित के जितने काम हुए और किसानों के कल्याण के लिए जितनी सफल योजनाएं चलाई गईं, किसी भी सरकार के दौरान ऐसा नहीं हुआ था। योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में चल रही सरकार ने तो किसानों के कल्याण के कार्यक्रमों में कीर्तिमान स्थापित किए हैं। पहली ही कैबिनेट में किसानों की कर्जमाफी से ही इसकी शुरूआत हो जाती है।

खाद्यान्न खरीद और उसके भुगतान, रिकार्ड गन्ना मूल्य भुगतान, किसानों को आपदा राहत और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसे अनेक योजनाओं में यूपी नंबर वन बना हुआ है। कोरोना संकटकाल में जब अखिलेश और उनके जैसे अनेक नेता घर पर आराम फरमा रहे थे तो सरकार और भाजपा के कार्यकर्ता अन्नदाता किसानों की सुध लेने लेकर उनकी सेवा में लगे रहे। आपदा के बावजूद किसानों से उनकी उपज क्रय को प्रभावित नहीं होने दिया गया। किसानों का गन्ना खेत में पड़ा बेकार न हो, इसके लिए कोरोनाकाल में भी सभी चीनी मिलें चलवाईं गईं और गन्ना मूल्य का भुगतान भी कराया गया। रही बात किसानों को मुआवजा देने की तो सीएम योगी प्रदेश में किसी भी व्यक्त की आपदाजनित मृत्यु पर भरपूर और त्वरित आर्थिक सहायता उपलब्ध कराते हैं। किसी की जान पर राजनीति करना और वोट बैंक के लिए प्रलोभन देना सपा की फितरत है, भाजपा की नहीं।

सरकार के प्रवक्ता ने चुनावी बेला में जीवन को अनमोल बताने वाले अखिलेश यादव ने सवाल किया है कि उनके पिताजी के शासन में अपने सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा में जान गंवाने वाले रामभक्त कारसेवकों के बारे में उनका क्या ख्याल है। उन्होंने कहा कि निहत्थे कारसेवकों को तत्कालीन सपा सरकार के आदेश पर गोलियों से भून दिया गया। इन कारसेवकों में सर्वाधिक तादाद गांव-गिरांव के उस अन्नदाता की थी जो बाल्यकाल से ही श्रीराम को अपना अराध्य मानता रहा। उनका दोष सिर्फ इतना ही तो था कि वे अपने मानबिंदुओं के सम्मान को लेकर मयार्दा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की भक्ति में लीन थे। आज जान को अनमोल बताने वाली समाजवादी पार्टी को तब तो निदोर्षों के जान की बहुमूल्यता समझ नहीं आई। आती भी कैसे, वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति के अलावा इन्हें कुछ सूझता भी तो नहीं है।

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