108 वर्ष बाद कनाडा से लाई गई भारत
15 नवंबर को काशी के विश्वनाथ मंदिर में होगी स्थापित
अथाह ब्यूरो,
नई दिल्ली। नई दिल्ली के मॉडर्न आर्ट गैलरी में आयोजित एक भव्य समारोह में केंद्र सरकार ने करीब 108 साल बाद कनाडा से लाई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दिया। किसके साथ प्रतिमा भव्य शोभायात्रा के साथ काशी के लिए प्रस्थान कर गई मूर्ति को 15 नवंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित किया जाएगा। मॉडर्न आर्ट गैलरी का माहौल मंदिर नुमा हो गया था। बड़ी संख्या में केंद्रीय मंत्री और अधिकारीगण मूर्ति के दर्शन करने के लिए उमड़ पड़े। श्रद्धालुओं ने प्रतिमा के दर्शन किए।
गुरुवार को आयोजित एक समारोह में केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश राणा को सौंपी। इस दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, हरदीप पुरी, अश्विनी चौबे व जी कृष्ण रेड्डी सहित कई मंत्रियों, अधिकारियों ने वहां पहुंच कर मूर्ति के दर्शन किये।
केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री जी कृष्ण रेड्डी ने कहा कि भारत की परंपराओं को मजबूत करके वापस संजोने का काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस मूर्ति को एक जुलूस में काशी विश्वनाथ मंदिर ले जाया जाएगा जहां प्राणप्रतिष्ठा का प्रदर्शन किया जाएगा, जिससे मां अन्नपूर्णा देवी की आध्यात्मिक और दिव्य कृपा बहाल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि धन्य है कि मूर्ति को उसके सही स्थान पर वापस लाया गया।
इस अवसर पर केंद्रीय विदेश व संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि एक समय था जब भारत की परंपराएं टूटे हुए घड़े के समान रिसरिस कर देश के बाहर जा रही थी और आज उसको मरम्मत और मजबूत करके वापस संजोने का काम हो रहा है। यह मूर्ति उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी जाने के बाद मूर्ति को भव्य शोभायात्रा के साथ काशी की ओर रवाना किया गया। इस मूर्ति को 15 नवंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित किया जाएगा।
इस प्रतिमा में मां अन्नपूर्णा के एक हाथ में खीर की कटोरी और दूसरे हाथ में चम्मच है। माना जा रहा है 18वीं शताब्दी की ये प्रतिमा 1913 में काशी के एक घाट से चुरा ली गई थी, और फिर इसे कनाडा ले जाया गया। वहां यह मैकेंजी आर्ट गैलरी में रेजिना विश्वविद्यालय के संग्रह का हिस्सा थी। इस मूर्ति की वसीयत 1936 में नॉर्मन मैकेंजी द्वारा करवाई गई थी और गैलरी के संग्रह में जोड़ा गया था।
जी किशन रेड्डी के मुताबिक 2014 के बाद से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में 42 दुर्लभ धरोहरों की देश वापसी हो चुकी है, जबकि 1976 से 2013 तक कुल 13 दुर्लभ धरोहर ही वापस लाई जा सकी थीं।