अकेले में की बात कैसे छिपाओगे
… राजनीति में कोई दोस्त नहीं होता और कोई दुश्मन नहीं होता । जो छिपा होता है , वह पहले सार्वजनिक हो जाता है । शायद यह बात क्षेत्रीय पार्टी के महासचिव भूल गए है । राष्ट्रीय महासचिव ने बुधवार को पार्टी के अगामी रणनीति की जानकारी पत्रकारों को दे दी और जब सवालों की बौधार शुरू हुई तो पत्रकारों से अकेले में जवाब देने की बात करने लगे । लेकिन साहब अब अकेले में हुई मुलाकात भी जग जाहिर हो जाती है , फिर लेखनी के सिपाही से अकेले में की गई बात कैसे पेट में रख पाएंगे ?
पुलिस के खून में है बदसलूकी —
गाजियाबाद पुलिस की कार्यशैली में बदलाव के लिए नित नए प्रयोग अधिकारियों की ओर से किए गए हैं । लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात है । थाना प्रभारियों को तुरंत मुकदमा दर्ज करने और कार्रवाई करने के आदेश अधिकारियों की तरफ से हैं । इसके साथ ही पीड़ित से आवभगत वाले लहजे में बात करने की हिदायत है , लेकिन यह गाजियाबाद पुलिस है , अगर यह सुधर गई तो फिर इसे जिला गाजियाबाद की पुलिस कौन कहेगा । इन दिनों कैसे कई ऐसे मा दरबारी लाल के सामने आए हैं जिनमें पीड़ित की यह शिकायत रही कि पुलिस ने उन्हें थाने से भगा दिया या उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की । अब दरबारी लाल की यह समझ नहीं आता कि पीड़ित को थाने से दौड़ाने के आदेश किस अधिकारी ने दिए हैं । इसका मतलब तो यह है कि यह व्यवहार पुलिस के खून में शामिल है ।
विश्लेषकों की कमी नहीं , मजबूत कार्यकर्ताओं का अभाव
अजब – गजब राजनीति के खेल हैं राजनीतिक विशेषज्ञ हर कोई बना बैठा है , इन बातों का पता हर चौक और चाय की दुकानों पर तो लगता ही है इसके अलावा राजनीतिक कार्यालयों की चर्चा पर भी यह बात आसानी से निकल कर आती है की हर कोई राजनीतिक विशेषज्ञ बना बैठा हैं । ऐसे ही विशेषज्ञों की बातें करते हुए , सबसे पुरानी पार्टी के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा कि कार्यालय पर बैठकर वरिष्ठ और राष्ट्रीय नेताओं के कार्यों का विश्लेषण पार्टी का हर दूसरा आदमी कर देता है किंतु उनसे यह पूछे कि पार्टी में उनकी स्थिति क्या है क्योंकि विश्लेषण करने वाले अधिकांश नेता अपने को बड़ा नेता तो मानते हैं तो पार्टी का सिपाही भी कहते हैं किंतु जब संगठन के धरने प्रदर्शन होते हैं तो अकेले ही दिखाई देते हैं साथ लाने के लिए एक व्यक्ति नहीं होता पर विश्लेषण प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय नेताओं के कर बैठते हैं उन्हें यह समझना जरूरी है कि जब तक कार्यकर्ता मजबूत नहीं होगा तो पार्टी मजबूत कैसे होगी विश्लेषण से पहले आत्ममंथन के साथ खुद को मजबूत करें तभी तो हाथ वाली पार्टी को मजबूत कर पाओगे । फिलहाल हाथ वाली पार्टी के वरिष्ठ नेता की बातों से यह तो स्पष्ट हो गया कि पार्टी में विश्लेषकों की संख्या ज्यादा है और मजबूत कार्यकताओं का अभाव ऐसे में गाजियाबाद में पार्टी कैसे विधानसभा में खाता खोल पाएगी ।