Dainik Athah

राग दरबारी

एक को मिल रहे थे फूल दूसरा पूरे दिन दौड़ता रहा

जिले के मुखिया ने कल दो अधिकारियों को इधर से उधर किया । एक अफसर लंबे समय से एक्स्ट्रा में चल रहे थे तो उन्हें खुशी भी थी वह भी सदर की । लेकिन उनकी खुशी अगले ही दिन उस समय काफूर हो गई जब पूरे दिन उन्हें कुर्सी पर बैठने का मौका भी नहीं मिला , जबकि दूसरी अफसर पूरे दिन मिलने वालों से फूल थामती रही। हालांकि उन्हें खबरों में रहना अच्छा भी लगता है और घर भी जिले का सबसे अच्छा घर मिल गया इसको लेकर पूरे दिन जिला मुख्यालय में चुटकी आली जाती रही। अब यह तो समय ही बताएगा कि किसके लिए कौन सी कुर्ती अच्छी रही।

सदस्यता ग्रहण की भागदौड़ या विधानसभा की दावेदारी

विधानसभा चुनाव 2022 जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे राजनीति सरगर्मियां बढ़ती जा रही है । अलग-अलग पार्टियों में नए नए चेहरे और दावेदार की चर्चा प्रतिदिन सुनाई देती है ऐसे में पूर्व में साइकिल वाली पार्टी मुरादनगर क्षेत्र से 2012 में विधानसभा चुनाव लड़ने की दौड़ में रहे प्रत्याशी के भाजपा में जॉइनिंग की चर्चा जोरों पर हैं इतना ही नहीं इन नेता जी ने लखनऊ में वरिष्ठ नेताओं से संपर्क भी साध लिया है। और इनके संदर्भ में लखनऊ से गाजियाबाद फोन पर चर्चा भी की गई है , चुनाव के दौरान यह नेता जी जिस कदर भागदौड़ कर रहे हैं और सत्ताधारी पार्टी में सदस्यता ग्रहण करने में लगे हैं लोगों का मानना है कि विधानसभा चुनाव की दावेदारी करेंगे किंतु मुरादनगर क्षेत्र के यह नेता जी सदस्यता ग्रहण करने के बाद टिकट की दावेदारी तक पहुंचते हैं या नहीं यह तो वक्त बताएगा क्योंकि इनके संदर्भ में भिन्न भिन्न प्रकार की चर्चाएं भाजपा कार्यालय पर भी चल रही हैं। बताते हैं कि यह नेता जी समय-समय पर चर्चाओं में रहे हैं और अब चर्चा कोई विवाद नहीं बल्कि सत्ता दल में ग्रहण करने की है। अब यह तो नेताजी ही जानते हैं कि वे सदस्यता ग्रहण कर रहे हैं या विधानसभा में टिकट की दावेदारी।

…तो आईएएस अफसरों को भी अफवाहों से डर लगता है

गाजियाबाद पूरे प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान रखता है। यही वजह है कि इस जिले में अधिकारियों को भी बहुत ही नापतौल कर भेजा जाता है, लेकिन घाट-घाट का पानी पीकर मानसिक रूप से मजबूत आईएएस अफसर ही गाजियाबाद की शान में जब कसीदे पढ़ने लगे तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां नौकरी करना कितना आसान है? दरबारी लाल को इसका अहसास एक आईपीएस अफसर की बातों से हुआ। दरअसल वह पत्रकारों से गाजियाबाद की कार्यशैली पर चर्चा करते हुए वह अपनी टीस पत्रकारों के सामने जाहिर कर बैठे। उन्होंने कहा कि भाई, गाजियाबाद में अपने को बचा कर रखा बेहद मुश्किल है, यहां पता नहीं कब ऐसी अफवाह उड़ जाए कि कुर्सी ही खतरे में पड़ जाए। उनके बारे में भी कुछ इसी तरह की अफवाह उड़ाई गई जिसकी वजह से उन्हें अपनी कुर्सी बचाने के लिए ऊपर सफाई देनी पड़ी। इसलिए भाई, अपने को बचा कर रखना बेहद जरूरी है।

– दरबारी लाल

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