Dainik Athah

राग दरबारी

नाराजगी हो तो कान मे कह देना …

चुनाव में पत्नी के साथ वोट मांगने आऊं, नाराजगी हो तो सार्वजनिक रूप से मत कहना चुपके से मेरे कान में कह देना… ऐसा ही कुछ एक विधायक ने एक कार्यक्रम के दौरान लोगों से चर्चा करते हुए कहा। हालाकि इस दौरान अन्य पार्टी के लोग भी उपस्थित थे। उनसे भी इन विधायक जी ने राजनीतिक समीकरण पर चर्चा की और उन्हें भी चुनाव लड़ने की सलाह दे दी, किंतु उस व्यक्ति ने कहा मुझे अपना कद का अनुमान है जितनी चादर उतनी ही पैर फेलाऊंगा। फिलहाल इन चर्चा उसे यह बात बात तो स्पष्ट है कि नेताजी को चुनाव में लोगों की नाराजगी का पहले से अंदाजा है, और वे घर में अपने इज्जत बरकरार रखना चाहते हैं भले ही क्षेत्र में लोग कुछ भी…

… कूदमफांद महाशय की वजह से कहीं कट ना जाए टिकट

देश की सबसे बड़ी विधानसभा साहिबाबाद में इन दिनों एक ही पार्टी के अंदर दो दावेदारों की टिकट को लेकर नेक टू नेक लड़ाई चल रही है। इनमें एक दावेदार, पार्टी का वफादार सिपाही हैं और पिछले चुनावों में भी टिकट के लिए दावेदारी कर रहे थे। लेकिन ऐन वक्त पर दूसरे दल के नेता ने उनकी गठबंधन पार्टी ज्वाइन कर ली और अंतत: पार्टी के कर्मठ सिपाही का टिकट गठबंधन पार्टी को ट्रांसफर हो गया। पिछले चुनावों में इन्हीं महाशय से मुंह की खाने वाले पार्टी के वफादार समाजवादी सिपाही अब दोबारा उनसे टिकट के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। आप सोचेंगे कि वह कैसे तो दरबारी लाल आपको यह बताए देता है कि इन महाशय ने टिकट के चक्कर में फिर कूदमफांद कर समाजवाद को ज्वाइन कर लिया है। अब पुराने सिपाही संशय में हैं कि कहीं उनका टिकट दोबारा से खटाई में न पड़ जाए, इसलिए जहां भी कूदमफांद करने वाले महाशय अपनी चुनावी जुगत बिठाने के लिए मीटिंग करते हैं, पुराने वाले भी अगले दिन वहीं तंबू गाड़ देते हैं।

… किसानों का मुद्दा उस समय तक हो जाएगा हवा हवाई

इन दिनों पिलखुवा के गांव गालंद में डंपिंग ग्राउंड बनाने का पुरजोर विरोध किया जा रहा है। ऐसी ही एक चर्चा के बीच हाथी वाली पार्टी के समर्थक ने गांव गालंद के ही एक निवासी से बोल दिया कि अब तो गांव के किसान भाजपा के विरोध में हैं तो निश्चित रूप से बसपा को लाभ मिलने जा रहा है। साथ ही ये किसानों का आंदोलन और खीरी की आग का भी लाभ मिलेगा। इस पर गालंद निवासी उस ग्रामीण ने दो टूक कहा कि चुनावों तक किसानों का मुद्दा हवा हवाई हो जाएगा और वोट योगी जी को जानी है। इससे आगे बढते हुए उसने कहा कि असली किसान तो खेतों में अपनी फसल का काम कर रहा है। आंदोलनकारी किसान हो ही नहीं सकते। कभी हत्या, कभी दुष्कर्म की खबरें स्पष्ट बता रही हैं ये कौन हैं।

-दरबारी लाल

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