… बहुत हो चुकी हत्याएं, कब तक याद करते रहेंगे 90 का दशक
देश का ताज कश्मीर एक बार फिर से अखबारों के पहले पन्ने के साथ ही चैनलों की हैड लाइन बनता जा रहा है। पहले जहां धर्म विशेष के लोगों को दहशतगर्दों ने निशाना बनाया था, अब बाहरी लोगों यानि गैर कश्मीरियों को निशाना बनाया जा रहा है।
कहने का सीधा अर्थ दहशतगर्द एवं पाकिस्तान में बैठे इनके आका नहीं चाहते कि विश्व में यह संदेश जाये कि धारा 370 एवं 35 ए समाप्त होने के बाद कश्मीर एक बार फिर जन्नत बन गया है। देशी- विदेशी पर्यटकों की आमद बढ़ रही है, स्थानीय कश्मीरियों को रोजगार मिल रहा है तथा उनकी आर्थिक तंगी दूर होती जा रही है।
यदि कश्मीरियों के दिन फिरेंगे तो फिर दहशतगर्दों एवं उनके आकाओं के मंसूबे कैसे सफल होंगे। कैसे वे स्थानीय युवाओं को बरगलाकर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल करेंगे। यदि स्थानीय कश्मीरियों का पेट भरा होगा तो क्यों वे देश विरोधियों से पैसा लेकर पत्थर मारेंगे एवं बंदूक उठायेंगे।
यहीं कारण है कि अब कश्मीर के लोगों को फिर से दो वक्त की रोटी के लिए तरसाना इनका मकसद है। यदि बाहरी लोगों के साथ ही स्थानीय दूसरे धर्म के लोगों की हत्या होगी तो पूरे कश्मीर में कामकाज ठप हो जायेगा। यहीं कारण है कि पिछले कुछ दिनों से हत्याओं का दौर बढ़ गया है। इस दौर ने एक बार फिर 90 के दशक को याद करा दिया है।
इसका जवाब भी केंद्र सरकार को देना होगा। वह भी घर में घुसकर मारकर। जब तक देश की सरकार दहशतगर्दों एवं उनके आकाओं को घर में घुसकर नहीं मारेगी तब तक ये शांत भी नहीं बैठेंगे। बस वक्त का इंतजार करो। लेकिन इंतजार लंबा न हो। जय हिंद