Dainik Athah

स्वच्छ भारत मिशन के लिए चुनौती बना है नगर निगम क्षेत्र का कूड़ा

शहर वासियों को अभी 3 साल और कूड़े की समस्या से जूझना पड़ेगा 

गालंद में वेस्ट एनर्जी प्लांट शुरू होने में लग सकता है 2 से ढाई साल का वक्त

नगर निगम क्षेत्र से प्रतिदिन निकलता है 1200 मिट्रिक टन कूड़ा

पिछले 15 दिन से शहर से नहीं उठा रहा कूड़ा, वादों में नहीं पहुंच रही कूड़ा उठाने वाली गाड़ियां

प्रदीप वर्मा
गाजियाबाद।
गाजियाबाद नगर निगम क्षेत्र में कूड़ा निस्तारण एक बड़ी चुनौती बन गया है पिछले 15 दिनों से नगर निगम के 100 वार्डों से कूड़ा नहीं उठ पा रहा है। नगर निगम की गाड़ियां वार्डों में कूड़ा कलेक्शन के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। हालत यह है कि पूरा शहर गंदगी के ढेर पर बैठा हुआ है और नगर निगम के अधिकारी कूड़ा निस्तारण में बेबस नजर आ रहे हैं।

नगर निगम के अधिकारियों की मानें तो गालंद स्थित बेस्ट एनर्जी प्लांट शुरू होने तक कूड़े की समस्या इसी तरह बनी रहेगी और यह प्लांट शुरू होने में ढाई साल से 3 साल का समय लग सकता है। यानि नगर निगम क्षेत्र में रहने वाले लोगों को एक लंबे समय तक कूड़े की समस्या से जूझना पड़ेगा।

फिलहाल की स्थिति यह है कि नगर निगम कूड़ा डालने के लिए जहां भी जमीन लीज पर ले रहा है, वहां क्षेत्रीय लोग या जनप्रतिनिधि विरोध कर रहे हैं। ऐसे में स्वच्छ भारत मिशन की रैंकिंग में बना रहना गाजियाबाद नगर निगम के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। सबसे गंभीर समस्या यह है कि पिछले 20 सालों से कूड़ा निस्तारण को लेकर तत्कालीन नगर निगम प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया जिसकी वजह से आज कूड़े की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है।

हालांकि मौजूदा नगर निगम प्रशासन कूड़ा निस्तारण को लेकर काफी गंभीर नजर आ रहा है। दूसरी ओर एनजीटी के आदेश भी नगर निगम के लिए समस्या खड़ी कर रहे हैं। नगर निगम अब तक लैंड लीज पर लेकर वहां कूड़ा डंप करने का ही काम कर रहा था। लेकिन लगातार हो रहे विरोध के बाद नगर निगम ने तय किया है कि अब कूड़े का निस्तारण प्रोसेस के माध्यम से किया जाएगा।

इसके लिए नगर निगम ने कूड़ा निस्तारण के लिए 2 फैक्ट्रियां भी स्थापित की हैं। जिनमें अभी लगभग डेढ़ सौ मिट्रिक टन कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है। जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।

आपको बता दें कि नगर निगम के 100 वार्ड से प्रतिदिन 1200 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। वर्ष 2009 तक नगर निगम प्रताप विहार में करीब 900 मीट्रिक टन कूड़ा डंप कर रहा था ‌जिसकी वजह से वहां कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया और बाद में एनजीटी के आदेश पर नगर निगम को इस डंपिंग साइट को बंद करना पड़ा।

इसके बाद कई साइट नगर निगम द्वारा कूड़ा डालने के लिए लीज पर ली गई, लेकिन सभी जगह नगर निगम को विरोध का सामना करना पड़ा और चालकों को नगर निगम के वाहनों को साइट से वापस लौटना पड़ा।

यही नहीं मौजूदा हालात में भी कूड़े के निस्तारण की बजाय एनजीटी को दिखाने के लिए 100 किलो से ज्यादा कूड़ा पैदा करने वाली सोसाइटी, फैक्ट्रियों, बैंक्विट हॉल व होटलों पर जुर्माना लगाने का काम किया जा रहा है। नगर निगम के अधिकारियों की मानें तो फिलहाल नगर निगम प्रशासन के पास 12 सौ मिट्रिक टन कूड़ा निस्तारण की कोई कार्य योजना नहीं है।

नगर निगम अब कूड़ा डंप नहीं बल्कि निस्तारण करेगा: नगर आयुक्त

गाजियाबाद नगर निगम के नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर का कहना है कि नगर निगम अब जहां भी जमीन लीज पर ले रहा है वहां कूड़े को डंप नहीं किया जाएगा बल्कि गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग करके उसका प्रोसेस किया जाएगा। इसके लिए हिंडन विहार में 300 मीट्रिक टन कूड़ा निस्तारण के लिए फैक्ट्री लगाई जा रही है इंदिरापुरम में 200 मीटर कूड़ा निस्तारण के लिए फैक्ट्री का कार्य चल रहा है जब किसी हाल ही में डेढ़ सौ मीटर टन कूड़ा का निस्तारण किया जा रहा है। फिलहाल 12100 मीट्रिक टन कूड़ा नगर निगम क्षेत्र से निकल रहा है, जिसमें से डेढ़ सौ मीटर कूड़े का निस्तारण नगर निगम द्वारा किया जा रहा है। गालंद के वेस्ट एनर्जी प्लांट को लेकर उन्होंने कहा कि नगर निगम 44.25 एकड़ लैंड ले चुका है। इसकी बाउंड्री का कार्य भी आधा हो गया है। बाकी बाउंड्री वाल की जा रही है। उन्होंने इस क्षेत्र में हो रहे विरोध को कुछ लोगों का निजी स्वार्थ बताया। उन्होंने बताया कि वेस्ट एनर्जी प्लांट 2 साल में शुरू हो जाएगा, लेकिन इससे पहले कुछ व्यवस्थाएं वहां की जानी है। जिन्हें जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। रही बात कूड़ा निस्तारण की तो संबंध में बैठा कर नगर निगम के कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था की जा रही है।

कूड़े की समस्या के लिए नगर निगम व जीडीए के तत्कालीन अधिकारी जिम्मेदार: प्रदीप चौहान

नगर निगम के लिए चुनौती बनी कूड़े की समस्या पर वाल्मीकि नेता एवं भाजपा पार्षद प्रदीप चौहान ने नगर निगम व जीडीए के तत्कालीन अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि गालंद में जमीन लेने के बाद इसकी तुरंत चारदीवारी की जानी चाहिए थी। अधिकारियों की लापरवाही की वजह से क्षेत्रीय लोगों ने सरकारी जमीन पर खेती शुरू कर दी और धौलाना विधायक असलम चौधरी ने यहां पर आबादी को बसा दिया। यही नहीं सरकारी जमीन पर मस्जिद का भी निर्माण कर दिया। नतीजा यह है कि अपने स्वार्थ हो की वजह से लोग वेस्ट एनर्जी प्लांट का विरोध कर रहे हैं और यहां पर कूड़ा नहीं डालने दिया जा रहा। तत्कालीन अधिकारियों द्वारा कूड़ा निस्तारण के लिए जो प्लांट लगाए गए, वह बंद हो गए। जिसके लिए वह सभी जिम्मेदार है। अधिकारियों ने जनता के पैसों को केवल बर्बाद करने का काम किया। अगर अधिकारी कूड़ा निस्तारण को लेकर गंभीर होते तो आज इस चुनौती का सामना नहीं करना पड़ता।

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