– भारत सरकार कई सालों से राजनीतिक दलों पर ध्यान दिये बिना दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ती रही है
– असंतोष का मूल कारण आजादी के बाद 6 दशकों में विकास ना पहुंच पाना है
कविलाश मिश्र
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में वामपंथी उग्रवाद पर एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 23 प्रतिशत की कमी आई है वहीं मौतों की संख्या में 21 प्रतिशत की कमी आई है।
रविवार को अमित शाह ने कहा कि दशकों की लड़ाई में हम एक ऐसे मुकाम पर पहुंचे हैं जिसमें पहली बार मृत्यु की संख्या 200 से कम है और यह हम सबकी साझा और बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि हम सब जानते हैं कि जब तक हम वामपंथी उग्रवाद की समस्या से पूरी तरह निजात नहीं पाते तब तक देश का और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों का पूर्ण विकास संभव नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इसको खत्म किए बिना न तो लोकतन्त्र को नीचे तक प्रसारित कर पाएंगे और न ही अविकसित क्षेत्रों का विकास कर पाएंगे, इसलिए हमने अब तक जो हासिल किया है उस पर संतोष करने की बजाय जो बाकी है उसे प्राप्त करने के लिए गति बढ़ाने की जरूरत है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत सरकार कई सालों से राजनीतिक दलों पर ध्यान दिये बिना दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ती रही है। जो हथियार छोड़कर लोकतंत्र का हिस्सा बनना चाहते हैं उनका दिल से स्वागत है लेकिन जो हथियार उठाकर निर्दोष लोगों और पुलिस को आहत करेंगे, उनको उसी तरह जवाब दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि असंतोष का मूल कारण है आजादी के बाद पिछले छह दशकों में विकास ना पहुंच पाना, इससे निपटने के लिए वहां तेज गति से विकास पहुंचाना और आम जनता और निर्दोष लोग उनके साथ ना जुड़ें, ऐसी व्यवस्था करना अति आवश्यक है।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विकास हो रहा है और अब नक्सली भी ये बात समझ चुके हैं कि विकास होने पर निर्दोष लोग उनके बहकावे में नहीं आएंगे इसीलिए विकास की गति निर्बाध रूप से जारी रखना बहुत जरूरी है। इन दोनों मोर्चों पर सफल होने के लिए ये बैठक बहुत मह्त्वपूर्ण है। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव कम से कम हर तीन महीने में पुलिस महानिदेशक और केन्द्रीय ऐजेंसियों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करें, तभी हम इस लड़ाई को आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में जिन क्षेत्रों में सुरक्षा पहुंच नहीं थी, वहां सुरक्षा कैंप बढ़ाने का काफी बड़ा और सफल प्रयास किया गया है, विशेषकर छत्तीसगढ़ में, साथ ही महाराष्ट्र और ओडिशा में भी सुरक्षा कैंप बढ़ाए गए हैं। श्री शाह ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के स्तर पर नियमित समीक्षा की जाती है, तो निचले स्तर पर समन्वय की समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी। शाह ने कहा कि जिस समस्या के कारण पिछले 40 वर्षों में 16 हजार से अधिक नागरिकों की जान गई हैं, उसके खिलाफ लड़ाई अब अंत तक पहुंची है और इसकी गति बढ़ाने और इसे निर्णायक बनाने की जरूरत है।
अमित शाह ने कहा कि हाल ही में भारत सरकार ने अनेक उग्रवादी गुटों, विशेषकर उत्तरपूर्व में, के साथ समझौता कर उनसे हथियार डलवाने में सफलता हासिल की है। बोड़ोलैंड समझौता, ब्रू समझौता, कार्बी आंगलोंग समझौता और त्रिपुरा के उग्रवादियों द्वारा आत्मसमर्पण समेत अबतक लगभग 16 हजार कैडर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जितने भी लोग हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में आना चाहते हैं, उनका हम स्वागत करते हैं।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि राज्य प्रशासन को सक्रिय होकर केन्द्रीय बलों के साथ तालमेल के साथ आगे बढ़ना चाहिए। केन्द्रीय बलों के बारे में जिन राज्यों ने मांग भेजी हैं, उन्हें पूरा करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती पर होने वाले राज्यों के स्थायी खर्च में कमी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2018-19 के मुकाबले 2019-20 में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती पर होने वाले राज्यों के खर्च में लगभग 2900 करोड़ रूपए की कमी आई है।
अमित शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवादियों के आय के स्रोतों को निष्प्रभावी करना बेहद जरूरी है। केन्द्र और राज्य सरकारों की ऐजेंसियों को मिलकर एक व्यवस्था बनाकर इसे रोकने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह करते हुए कहा कि वे वामपंथी उग्रवाद की समस्या को अगले एक साल तक प्राथमिकता दें, जिससे इस समस्या का स्थायी समाधान हो सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए दबाव बनाने, गति बढ़ाने और बेहतर समन्वय की जरूरत है।
इस नीति के अंतर्गत, केन्द्रीय गृह मंत्रालय, सीएपीएफ बटालियनों की तैनाती, हेलीकॉप्टरों और यूएवी के प्रावधान और भारतीय रिजर्व बटालियनों (आईआरबी) / विशेष भारत रिजर्व बटालियनों (एसआईआरबी) की मंजूरी के जरिए क्षमता निर्माण और सुरक्षा तंत्र की मजबूती के लिए राज्य सरकारों को समर्थन दे रहा है। राज्य पुलिस के आधुनिकीकरण और प्रशिक्षण के लिए पुलिस बल के आधुनिकीकरण (एमपीएफ), सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना और विशेष बुनियादी ढांचा योजना (एसआईएस) के तहत भी धनराशि उपलब्ध कराई जाती है।
बेहतर स्थिति के कारण, एसआरई जिलों की संख्या की पिछले तीन वर्षों में दो बार समीक्षा की गई, जो अप्रैल, 2018 में 126 जिÞलों से घटकर 90 और फिर जुलाई, 2021 में 70 हो गए। सबसे अधिक वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिÞलों की संख्या भी अप्रैल, 2018 में 35 से घटकर 30 और फिर जुलाई, 2021 में इसे और कम करके 25 कर दिया गया।