– गजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर
– जीपीए ने यज्ञ के बाद मुख्यमंत्री को संबोधित 10 सूत्रीय मांग पत्र जिलाधिकारी को सौपा
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। गजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने बुधवार को प्रदेश के निजी स्कूलों द्वारा कोरोना काल मे जारी लूट एवं शिक्षा के व्यापारीकरण पर चुप्पी साधे बैठी केंद्र और प्रदेश सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिये जिलाधिकारी कार्यालय पर यज्ञ का आयोजन किया। जिसमें अभिभावकों ने यज्ञ के हवन कुंड में प्रज्वलित अग्नि एवं मंत्रों के उच्चारण से प्रदेश सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री अदित्यनाथ योगी तक अपनी पीड़ा पहुंचाने के लिये 10 सूत्रीय मांगों का एक पत्र जिलाधिकारी को सौपा।
मांग पत्र में जीपीए का कहना है कि कोरोना काल मे लगभग 18 महीने से भी ज्यादा समय से बंद रहे प्रदेश के निजी स्कूलों की फीस ऑन लाइन शिक्षा के आधार पर निर्धारित कर निजी स्कूलों द्वारा वसूली गई। पूरी फीस से ऑन लाइन शिक्षा की निर्धारित फीस वापस करने का आदेश पारित किया जाये। कोरोना की वैश्विक महामारी में प्रदेश के निजी स्कूल जिनके पास कोरोडो रुपयो के रूप में सरप्लस फण्ड मौजूद है जिसकी सत्यता की पुष्टि निजी स्कूलों की पिछले 10 साल की बैलेंस शीट की जांच द्वारा की जा सकती है। साथ ही निजी स्कूल संचालको द्वारा स्कूल की एक शाखा से अर्जित प्रॉफिट से प्रदेश में अनेको स्कूल की शाखा खोल दी गई है। बावजूद इसके इनको कोरोना से प्रभावित मान लिया गया और आम अभिभावक जिनकी इस वैश्विक महामारी से आर्थिक रूप से कमर टूर चुकी है को नजरअंदाज कर निजी स्कूलों को पूरी फीस वसूली करने का मौका दिया गया।
जीपीए का कहना है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों को विश्वस्तरीय बनाया जाए। साथ ही प्रदेश मे सीबीएसई बोर्ड से मान्यत प्राप्त ज्यादा से ज्यादा सरकारी स्कूल खोले जाएं जिससे कि प्रदेश के अभिभावको को इंग्लिश मीडियम सरकारी स्कूलों में बच्चो को भेजने का विकल्प मिल सके और निजी स्कूलो पर निर्भरता कम हो सके। प्रदेश के प्रत्येक सांसद और विधायक को 5 सरकारी स्कूल गोद देकर उनकी दशा सुधार विश्वस्तरीय बनाने की जिम्मेदारी दी जाए जिससे कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हो सके। प्रदेश के प्रत्येक जिले में कम से कम एक -एक सैनिक स्कूल खोला जाये जिससे कि प्रदेश के बच्चों द्वारा राष्ट्र के निर्माण में अहम भूमिका निभाई जा सके। शिक्षा अधिकारियों की उदासीनता के कारण निजी स्कूलों द्वारा निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (आरटीई) के तहत चयनित बच्चों को एडमिशन नहीं दिए जाने पर ऐसे स्कूलों की मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द की जाए।
जीपीए ने आरोप लगाया कि अधिकारियों और निजी स्कूल संचालकों की मिलीभगत के कारण प्रदेश में बने फीस अधिनियम 2018 का दूरुपयोग करते हुये निजी स्कूलो द्वारा ट्यूशन फीस में वार्षिक शुल्क सहित अन्य शुल्कों को जोड़कर कंपोसिट फीस बना दिया गया। जिसके कारण फीस कम होने की बजाए बढ़ गई और फीस अधिनयम 2018 का प्रदेश के अभिभावकों को कोई लाभ नही मिला। प्रदेश के निजी स्कूलों की मनमानी बदस्तूर जारी है। सीएम से मांग की गई है कि जिले में गठित जिला स्तरीय शुल्क नियामक समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी को सख्त आदेश कर वार्षिक शुल्क सहित अन्य शुल्कों को ट्यूशन फीस से अलग कर फीस बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने का आदेश पारित किया जाये। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले मे जिला स्तरीय शुल्क नियामक समिति गठित करने के आदेश पारित कर उच्चस्तरीय निगरानी कमेटी का भी गठन किया जाए जिससे कि अधिकारियों और निजी स्कूल संचालको की मिलीभगत पर अंकुश लगाया जा सके और प्रदेश के अभिभावको को फीस अधिनियम 2018 का लाभ मिल सके । प्रदेश के निजी स्कूलो में छात्र व छत्राओ के मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली सस्ती एवं सुलभ एनसीईआरटी की पुस्तकें सुनिश्चित किया जाए। प्रदेश के निजी स्कूलों का रजिस्ट्रेशन सोसाइटी एक्ट से हटा कर कंपनी एक्ट में संशोधित करने का आदेश पारित किया जाए, क्योंकि प्रदेश के निजी स्कूलों द्वारा शिक्षा को समाज सेवा की बजाय शिक्षा का व्यापार बनाकर अंधाधुन प्रॉफिट अर्जित किया जा रहा है।
यज्ञ पूर्ण होने पर जीपीए द्वारा चने और हलवे का प्रसाद वितरण किया गया। जीपीए ने जिलाधिकारी कार्यालय में विशेष रूप से प्रसाद वितरण किया ताकि सरकारी अधिकारियों की बुद्धि-शुद्धि हो सके। जीपीए नेर प्रतिज्ञा ली कि जब तक सरकार निजी स्कूलों की लूट एवं शिक्षा के व्यापारीकरण पर अंकुश नहीं लगाती तब तक न्याय के लिए लड़ाई इसी तरह जारी रहेगी। इस मौके पर सतपाल चौधरी, अनिल सिंह, उषा, साधना सिंह, रजनी, नवीन राठौर, मनोज वर्मा, जसवीर रावत, नरेश कसोना, ललित कुमार, दिनेश खन्ना, निकुंज डोगरा, मनीष शर्मा, अमित चौधरी, डॉ राजीव शर्मा, हरेंद्र नेगी, पुष्कर नेगी, जगदीश पटवाल समेत भारी संख्या में अभिभावक मौजूद रहे।
बारिश ने डाला व्यवधान
जीपीए के बुद्धि-शुद्धि यज्ञ के दौरान हल्की-फुल्की बूंदाबांदी शुरू हो गई थी। लेकिन अभिभावक जमे रहे। लेकिन यज्ञ की समाप्ति के समय पर बारिश अचानक तेज हो गई और बारिश के कारण यज्ञ की अग्नि भी शांत हो गई। जिसकी वजह से बारिश की वजह से जीपीए के कार्यक्रम में थोड़ा व्यवधान उत्पन्न हो गया। हालांकि तब तक जीपीए जो मैसेज शासन-प्रशासन को देना चाहता था, उसका मकसद पूरा हो चुका था।