भाजपा: चहेतों को दे रहे काम, अध्यक्ष की इच्छा हुई तो ‘पदाधिकारियों पर ‘उपकार’
अध्यक्षों की कृपा पर ही मिल रहा ‘6 साला पदाधिकारियों को काम’
छह साल से एक ही पदों पर जमे हैं भाजपा के पदाधिकारी
पदाधिकारी होते हुए भी न घर के न घाट के
अशोक ओझा
लखनऊ। कहने को वे भाजपा के जिले के पदाधिकारी है, लेकिन उन्हें काम दिया जाये या फिर अपने चहेतों को यह जिलाध्यक्ष की इच्छा पर निर्भर करता है। काम उनको मिलता है जो अध्यक्षों की परिक्रमा करते हैं।
यह स्थिति किसी एक जिले की नहीं है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में यहीं स्थिति है। भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के अधिकांश जिलों में अध्यक्ष तो बदल दिये, लेकिन पदाधिकारी वो है जो पिछले छह वर्षों से है। नये बने जिलाध्यक्षों के साथ नाइंसाफी यह है कि उन्हें अध्यक्ष तो बना दिया गया, लेकिन काम पुरानी टीम से ही चलाना पड़ रहा है। ये पदधिकारी भी ऐसे हैं कि बस नाम मात्र को ही पदाधिकारी है। जो भी नये अध्यक्ष बनें हैं उनकी स्थिति यह है कि उनके आसपास भी ऐसे लोगो का चक्रव्यू तैयार हो गया है जो नयी बनने वाली टीम में स्थान चाहते हैं।
अब जिलाध्यक्षों की बात करें तो उनकी मनोस्थिति ऐसी है कि वे पुराने पदाधिकारियों को जैसे ढो रहे हैं। तव्वजो उनको नहीं मिलती, अध्यक्ष अपने पसंदीदा लोगों को महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियां देते हैं। कोई भी कार्यक्रम हो तो ऐसे लोगों को दिये जाते हैं जो या तो नीचे के पदों पर है अथवा किसी पद पर नहीं है या पूर्व पदाधिकारी है वह भी मंडल स्तर के। इनकी भी मजबूरी है कि अध्यक्ष को खुश रखना है तो अपने पास से धन खर्च कर कार्यक्रम को सफल बनाने में जुट जाते हैं। लेकिन पदाधिकारी मन मसोस कर रह जाते हैं।
अब समानांतर संगठन भी चला रहे पदाधिकारी
वर्तमान समय में स्थिति यह है कि जिन पदाधिकारियों को काम नहीं मिल पा रहा उनके संबंध में पता चला है कि अनेक तो समानांतर संगठन भी चला रहे हैं। जैसे किसी अन्य संगठन के बैनर पर लगातार बड़े कार्यक्रम कर रहे हैं। इनमें अधिकांश वे ही है जिन्हें नये अध्यक्षों ने लंबे समय से कोई काम ही नहीं दिया। एक पदाधिकारी कहते हैं यदि अध्यक्ष के भरोसे बैठे रहे तो जंग लग जायेगा।
अधिकांश अध्यक्ष इससे खुश चारों तरफ लगी है भीड़
प्रदेश के कई जिला और महानगर अध्यक्ष तो इससे ही खुश है उनके चारों पर तरफ भीड़ लगी है। पश्चिम के एक अध्यक्ष कहते हैं यदि कोई काम है तो उसे करने वाले अनेक लोग मैदान में है। जब टीम बन जायेगी तब पूरी भीड़ छंट जायेगी। टीम तब बनेगी जब प्रदेश को नयी टीम मिलेगी। ऐसे में अपनी तो बल्ले बल्ले है।
