अथाह ब्यूरो
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार में किसानों की दुर्दशा हो रही है। भाजपा ने किसानों को झूठे सपने दिखाएं। आज किसान को फसल के लिए यूरिया और अन्य खादों की सबसे ज्यादा आवश्यकता है लेकिन नहीं मिल पा रही है। अयोध्या समेत कई जिलों में खाद के लिए किसानों की लम्बी-लम्बी लाइनें है। सरकार किसानों को खाद नहीं उपलब्ध करा पा रही हैं, किसानों पर लाठियां चलायी जा रही है। भाजपा सरकार में किसान पूरी तरह बेबस है। यह सरकार हमेशा हवा में रहती है। खाद का इंतजाम नहीं कर पा रही है। कानून व्यवस्था नहीं संभाल पा रही है।
जनपद फिरोजाबाद के टुण्डला में पत्रकारों से बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने किसानों की आय दुगना करने का भरोसा दिलाया था। किसानों की आय नहीं बढ़ी। किसान वहीं का वहीं खड़ा है। भाजपा सरकार में किसानों के आलू, मक्का, धान, सरसों और अन्य फसलों की सही कीमत भी नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में काटे गये वोटरों के नामों के चुनाव आयोग को भेजे शपथ पत्रों को लेकर श्री अखिलेश यादव ने कहा कि अब यह लड़ाई चुनाव आयोग और डीएम के बीच में है। अभी तक चुनाव आयोग कह रहा था कि उन्हें डिलीट वोटरों के नामों का कोई शपथ पत्र नहीं मिला है जबकि डीएम लोग कह रहे है कि उन्हें मिला है। हम लोगों ने 18 हजार वोटरों का जो शपथ पत्र दिया है, उस पर चुनाव आयोग और जिलाधिकारियों को तय करना है। अब डीएम रिपोर्ट लगाएगा और चुनाव आयोग तय करेगा।
यादव ने कहा कि वोट चोर-गद्दी छोड़ से ऊपर भी समाजवादियों ने नारा दिया है कि भाजपा के लोग डकैती छोड़ दे। पत्रकारों समेत सभी लोगों ने देखा कि रामपुर में लोगों को वोट डालने के लिए बाहर नहीं निकलने दिया। कुंदरकी उपचुनाव में जितना वोट पड़ा उसका 80 फीसदी वोट भाजपा का हो गया। चुनाव में चुनाव आयोग, भाजपा और जिला प्रशासन की तिकड़ी लोकतंत्र को कमजोर कर रही है।
उन्होंने कहा कि वोटिंग का रिकॉर्ड देने के मामले में भाजपा जो कहेगी चुनाव आयोग वही करेगा। भाजपा को डर है कि उपचुनाव में पुलिस ने प्राइवेट ड्रेस में जो वोट डाला है, उसकी पहचान हो जायेगी। इसलिए वोट किसने डाला है, उसकी रिकॉर्डिंग नहीं मिल रही है। चंडीगढ़ में सभी ने देखा की कैमरे से पकड़े गये थे। एक सवाल के जवाब में श्री अखिलेश यादव ने कहा कि लोकतंत्र में जब तानाशाह घबराते है तो अपनी कुर्सी बचाने के लिए तो मनमानी भरे फैसले लेते हैं। फैसले लेने के बाद भी दुनिया को कोई तानाशाह चाहे जर्मनी का रहा हो या इटली और रशिया का तानाशाह रहा हो, वह अपनी कुर्सी नहीं बचा पाया है।
