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प्रदेश संगठन महामंत्री की परीक्षा में फैल हो गये पश्चिम के अधिकांश जिला- महानगर अध्यक्ष

  • ऐसे कैसे पार हो पायेगी भाजपा की नैया
  • नोएडा में हुई बैठक में बूथ- शक्ति केंद्रों को लेकर हुई थी परीक्षा
  • सवाल पूछे जाने पर बगले झांकते नजर आये अधिकांश जिला-महानगर अध्यक्ष
  • स्थिति को लेकर संगठन महामंत्री ने जताई नाराजगी

अशोक ओझा
गाजियाबाद/ नोएडा।
भारतीय जनता पार्टी में इस समय जो स्थिति चल रही है वह निश्चित ही चौंकाने वाली है। बूथ और शक्ति केंद्रों में क्या हो रहा है यह पार्टी के जिलाध्यक्षों को ही पता नहीं। बात यहीं समाप्त नहीं होती, जिलाध्यक्षों को यह भी पता नहीं है कि शक्ति केंद्र प्रमुख कौन है औैर बूथ अध्यक्ष कौन। इस स्थिति का खुलासा हुआ भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह की बैठक में।
बीते सप्ताह प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने नोएडा में भाजपा अनुसूचित मोर्चा के पदाधिकारियों की बैठक रखी थी। इस बैठक के बाद उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षों के साथ समीक्षा बैठक रखी। सूत्रों के अनुसार जब उन्होंने बैठक में एक एक कर भाजपा जिलाध्यक्षों से सवाल करने शुरू कर दिये। इस दौरान जिस भी अध्यक्ष से बूथ और शक्ति केंद्रों की रिपोर्ट मांगी गई उसमें से अधिकांश एक एक कर सभी फैल होते गये। इसमें फैल होने वालों में एक नंबर पर रामपुर, दो नंबर पर गाजियाबाद जिला और महानगर, तीन पर मेरठ जिला, चार पर मेरठ महानगर रहे। नोएडा के भी दोनों अध्यक्षों का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा।
सूत्रों के अनुसार बैठक में गाजियाबाद जिले के दोनों अध्यक्ष जिला और महानगर वाले तो बूथ अध्यक्षों एवं शक्ति केंद्रों के प्रमुखों के नाम तक नहीं बता सके। बैठक में इस स्थिति को लेकर प्रदेश महामंत्री संगठन ने नाराजगी भी व्यक्त की। उन्होेंने स्पष्ट रूप से कहा कि चुनाव जीतने का मूल मंत्र है बूथ जीतो, चुनाव जीतो। इसके साथ ही उन्होंने कई अध्यक्षों का नाम लेकर उनके द्वारा किये जा रहे क्रिया कलापों को लेकर भी नाराजगी जताई। यदि सीधे सीधे कहा जाये तो धर्मपाल सिंह की परीक्षा में अधिकांश अध्यक्ष फैल हो गये। अभियानों को लेकर वे संतुष्ट नहीं थे। हालांकि बिजनौर, बुलंदशहर, सहारनपुर जिला और महानगर की स्थिति अन्य से बेहतर रही।
सूत्रों के अनुसार उन्होंने बैठक में यहां तक कह दिया कि बैठकों में जाकर माला पहनने और फोटो खिंचवाने से काम नहीं चलता, यदि अध्यक्ष बने रहना है तो काम करके दिखाना होगा। यह बात उन्होंने इंगित तो गाजियाबाद को लेकर कही, लेकिन इशारा सभी की तरफ था। यानि अध्यक्ष बनने के बाद नये अध्यक्ष केवल माला पहनकर फोटो खिंचवाने का काम ही कर रहे हैं। जिस प्रकार उन्होंने सभी जिलाध्यक्षों के पेंच कसे हैं उसका असर भी निकट भविष्य में दिखाई दे सकता है। इसके साथ ही सूत्र बताते हैं कि इस प्रकार की समीक्षा प्रदेश में सभी जिलों में की जा रही है। इसमें नये बने जिलाध्यक्षों की कार्य प्रणाली को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बता दें कि भाजपा इस समय आगामी समय में होने वाले पंचायत चुनावों के साथ ही 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट गई है, ऐसी स्थिति में आने वाले समय में संगठन की समीक्षा और संगठन को कसने पर अधिक ध्यान दिया जायेगा।


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