- दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है
- उप राष्ट्रपति पद पर पूर्वोत्तर के साथ ही दक्षिण पर भाजपा नेतृत्व की निगाह
- ओडिसा के बाद पूर्वाेत्तर- दक्षिण में खिलाना है ‘कमल’

अशोक ओझा
नयी दिल्ली। एक कहावत है कि दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है, यह कहावत केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर अक्षरश: सही बैठती है। निवृतमान उप राष्टÑपति जगदीप धनखड़ एवं पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक से चोेट खाई भाजपा अब महत्वपूर्ण पदों पर केवल संघ पृष्ठ भूमि वालों को तरजीह देगी। पार्टी सैद्धांतिक रूप से यह तय कर चुकी है। इसके साथ ही पार्टी यह भी चाहती है कि उप राष्टÑपति पद पूर्वोत्तर अथवा दक्षिण के किसी वरिष्ठ कार्यकर्ता को दिया जाये, जिससे इन क्षेत्रों में कमल खिलाया जा सके।
बता दें कि भाजपा संगठन चुनाव अब नेपथ्य में जा चुका है। भाजपा ने इस समय पूरा ध्यान उप राष्टÑपति चुनाव पर केंद्रित कर दिया हैै। जिस प्रकार अचानक घटे घटनाक्रम के बाद उप राष्टÑपति जगदीप धनखड़ ने त्याग पत्र दिया उसके बाद केंद्र सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेतृत्व की शीर्ष प्राथमिकता उप राष्टÑपति चुनाव बन गया है। संभवत: इसी कारण रविवार को पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्टÑपति द्रोपदी मुर्मू से मुलाकात की।
भजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जिस प्रकार पार्टी ने पहले पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ और इसके बाद उप राष्टÑपति जगदीप धनखड़ से चोट खाई है वह उसके लिए असहनीय स्थिति हो चुकी है। इसके बाद भी पार्टी ने यह तय किया है कि महतवपूर्ण पदों पर संघ (आरएसएस) पृष्ठ भूमि वाले भगवा रंग में रंगे कार्यकर्ताओं को ही तरजीह दी जायेगी। इसके लिए संघ से भी सहमति बना ली गई है। संघ पृष्ठ भूमि वालों को आगे बढ़ाने में तो संघ नेतृत्व को कोई दिक्कत ही नहीं है। अब संघ पृष्ठ भूमि वाले किसी वरिष्ठ कार्यकर्ता के नाम को खोजा जाना शुरू हो गया है। संघ पृष्ठ भूमि वाले कार्यकर्ता से न तो पार्टी को कोई परेशानी होने वाली न ही भाजपा नेतृत्व को।
इतना ही नहीं भाजपा की नजर अब पूर्वोत्तर के पश्चिमी बंगाल समेत अन्य राज्यों पर है। इसके साथ ही दक्षिण में तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल पर भी भाजपा की नजर है। यहीं कारण है कि इन राज्यों में कमल खिलाने के लिए पार्टी पूर्वोत्तर अथवा दक्षिण के किसी राज्य के वरिष्ठ कार्यकर्ता को उप राष्टÑपति बना सकती है। इसके लिए जोर शोर से नामों पर मंथन किया जा रहा है।
भाजपा सूत्र बताते हैं कि तेलंगाना के कांग्रेसी मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी पिछले दिनों यह मांग कर चुके हैं कि उप राष्टÑपति उनके राज्य के किसी व्यक्ति को बनाया जाये। यदि भाजपा पूर्वाेत्तर अथवा दक्षिण के किसी नेता को उप राष्टÑपति पद सौंपे जाने के बाद यदि पार्टी इनमें से किसी भी राज्य में कमल खिलाने में सफल हो जाती है तो यह उसकी रणनीति की बड़ी जीत होगी। बताया जाता है कि नामों के पैनल पर संघ से सलाह करने के बाद ही पार्टी उप राष्टÑपति पद के प्रत्याशी के नाम की घोषणा करेगी। धनखड़ और मलिक से धोखा खाने के बाद भाजपा की यह मजबूरी बन गई है कि वह संघ पृष्ठ भूमि वालों को आगे बढ़ाये। यह इससे भी पता चलता है कि इन दिनों जितने भी प्रदेश अध्यक्ष बनें हैं वे संघ पृष्ठ भूमि से हैं।
