Dainik Athah

5 जून को मनाया जाएगा गंगा दशहरा

  • गंगा दशहरा के 10 योगों में से बन रहे हैं नौ विशिष्ट योग
  • पितरों की मुक्ति के लिए गंगा स्नान का विशेष महत्व

आचार्य शिवकुमार शर्मा शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद ।गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है।पुराणों में उल्लेख है कि महर्षि कपिल के श्राप द्वारा भस्म हुए अपने 60000  पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए महाराज भागीरथ ने हजारों वर्षों  तपस्या करके गंगा जी को स्वर्ग से लाए थे। जो वैशाख शुक्ल सप्तमी गंगा सप्तमी को स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थी ,किंतु उसके तीव्र प्रभाव को रोकने में कोई समर्थ नहीं था। इसलिए महाराज भगीरथ ने भगवान शिव की उपासना की और उन्हें प्रसन्न किया। गंगा के तीव्र प्रभाव को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में रोक लिया। क्योंकि महाराज भागीरथ को अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाने के लिए गंगा जी को वहां तक ले जाना था। उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की।ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को भगवान शिव ने अपनी एक जटा खोली और गंगा को पृथ्वी  पर अवतरित कर दिया। इस प्रकार महाराज भागीरथ आगे आगे चले ,पीछे गंगा चलती रही। उन्होंने गंगा सागर के किनारे जहां पर उनके पूर्वज भस्म हुए थे, गंगा जी के द्वारा उनकी आत्मा को मुक्ति दिलवाई।गंगा दशहरा 10 शुभ योगों में मनाया जाता है। इस वर्ष इन 10 योगों  में से नौ योग मिल रहे हैं।ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि,, हस्त नक्षत्र,व्यतिपात और सिद्धि योग, तैतिल करण वृषभ राशि में सूर्य ,कन्या राशि में चंद्रमा , यह नौ  महायोग बन रहे हैं।गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का होती बड़ा महत्व है। इस दिन पितरों की मुक्ति के लिए भी गंगा स्नान करना, पितरों को गंगाजल से जलाजंलि देना ,उनके निमित्त भोजन वस्त्र आदि का योग्य व्यक्तियों को दान करें। इस दिन विद्वानों, गरीबों और ब्राह्मणों को ठंडा जल, मीठा शरबत खरबूजा, पंखा जलीय वस्तुओं  का दान करना बहुत ही पुण्यदायक माना गया है। पितरों के प्रसन्न होने से घर में सुख शांति, संतान ,समृद्धि आदि के योग बनते हैं।*5 जून को है पर्यावरण दिवस*5 जून को प्रतिवर्ष पर्यावरण दिवस मनाया जाता है ।प्रकृति के प्रति अपने संवेदनशीलता को बनाए रखने के लिए,  प्रकृति की रक्षा के लिए बड़ी संख्या में पौधारोपण करना और प्रकृति को शुद्ध करने के लिए यज्ञ आदि का आयोजन करना चाहिए।प्रत्येक नागरिक को यह संकल्प लेना चाहिए कि प्रकृति और मानव का परस्पर अटूट संबंध है। यदि प्रकृति और पर्यावरण शुद्ध होगा  तो जन जीवन स्वस्थ रहेगा।पंडित शिवकुमार शर्मा, ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कन्सलटैंट गाजियाबाद

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