Dainik Athah

उत्तर प्रदेश में जैव ऊर्जा का सुनहरा भविष्य, 6 हजार करोड़ के सीबीजी प्रोजेक्ट्स पर चल रहा काम

  • कंप्रेस्ड बायो गैस के क्षेत्र में सबसे अधिक निमार्णाधीन प्लांट्स के साथ यूपी बना निवेश का नया केंद्र
  • पर्यावरण और ऊर्जा क्षेत्र में योगी सरकार की पहल के चलते 129 सीबीजी प्लांट्स का हो रहा निर्माण
  • सीबीजी के पहले से स्थापित प्लांट्स की संख्या के नजर में पहले ही नंबर वन पर है उत्तर प्रदेश
  • ऊर्जा सुरक्षा के साथ ही ग्रामीण सशक्तिकरण, नवाचार और पर्यावरण संतुलन का भी मॉडल बन रही प्रदेश की जैव ऊर्जा रणनीति

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश जैव ऊर्जा क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्य के रूप में तेजी से उभर रहा है। कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) के क्षेत्र में जहां यूपी पहले से ही स्थापित प्लांट्स की संख्या में नंबर एक है, वहीं निमार्णाधीन प्रोजेक्ट्स के आंकड़ों में भी यह राज्य पूरे देश में सबसे आगे निकल गया है। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 129 उइॠ प्रोजेक्ट्स का निर्माण चल रहा है, जिन पर लगभग ?5,992 करोड़ का निवेश हो रहा है। यह भारत में किसी भी राज्य में निमार्णाधीन उइॠ प्लांट्स की सबसे बड़ी संख्या है।

सीबीजी के क्षेत्र में निवेश का सक्रिय केंद्र बना यूपी
उत्तर प्रदेश में कुल 25 कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट स्थापित हैं। पूरे देश में सर्वाधिक सीबीजी प्लांट उत्तर प्रदेश में ही हैं। प्रदेश में पूरे देश के 19 प्रतिशत सीबीजी प्लांट्स स्थापित हैं जो पूरे देश में सर्वाधिक हैं। इन प्लांट की क्षमता 213 टन पर डे (टीपीडी) है। इसके बाद गुजरात (16 प्रतिशत), महाराष्ट्र (9 प्रतिशत) का नंबर आता है। नंबर्स की बात करें तो गुजरात में 21 प्लांट्स, महाराष्ट्र में 12, पंजाब में 10 और मध्य प्रदेश में 6 प्लांट स्थापित हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश, सीबीजी क्षेत्र में निवेश और विकास का सबसे सक्रिय केंद्र बन चुका है।

भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के लिए ठोस तैयारी
योगी सरकार की स्वच्छ ऊर्जा, पर्यावरण सुरक्षा और किसान हितैषी दृष्टिकोण के कारण निवेशकों का रुझान तेजी से बढ़ा है। सरकार द्वारा दिए जा रहे भूमि सब्सिडी, पूंजी सब्सिडी, एसजीएसटी प्रतिपूर्ति और सिंगल विंडो क्लियरेंस जैसी सुविधाओं ने जैव ऊर्जा क्षेत्र में प्रोजेक्ट स्थापना को सहज बनाया है। इन 129 प्लांट्स के पूर्ण होने के बाद उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस आधारित रोजगार बढ़ेगा। इसके साथ ही, कृषि अपशिष्ट का दोहन कर स्वच्छ ईंधन का उत्पादन होगा। वहीं, शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में हरित ऊर्जा की आपूर्ति सुगम होगी। इन प्लांट्स के संचालन से हर साल लाखों टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। स्वच्छ रसोई ईंधन की उपलब्धता बढ़ेगी और जैविक खाद के उत्पादन से किसानों को अतिरिक्त लाभ मिलेगा।


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