- पहले भाजपा फंसी जातीय गुणा भाग में, देश पहले, संगठन चुनाव बाद में
- प्रधानमंत्री मोदी समेत पूरी सरकार और भाजपा का ध्यान अब आतंकी हमले के साथ ही जवाबी कार्रवाई पर
- किसी को फुर्सत नहीं अब संगठन चुनाव की तरफ देखने की
अशोक ओझा
नयी दिल्ली। लगता है कि भारतीय जनता पार्टी के राष्टÑीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ ही उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी समेत कई राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों के सितारे मजबूत है, यहीं कारण है कि बार बार प्रयासों के बावजूद संगठन चुनाव की गाड़ी पटरी से उतर जाती है। पहले पार्टी यह तय नहीं कर पाई कि राष्टÑीय और प्रदेशों के अध्यक्ष किन जातियों से हो, अब पाक परस्त आतंकी हमले ने संगठन चुनाव की गाड़ी को पटरी से उतार दिया है।
बता दें कि पिछले लंबे समय से भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए लगातार बैठकों का दौर जारी था, लेकिन उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव न होने के कारण राष्टÑीय अध्यक्ष का चुनाव भी लटकता जा रहा था। भाजपा और संघ यह तय करने में समय लगा रहे थे कि राज्यों में किस किस जाति के अध्यक्ष बनेंगे, इसके साथ ही राष्टÑीय अध्यक्ष को लेकर भी तय नहीं हो पा रहा था कि केंद्र में किस जाति और प्रदेश के नेता के हाथों कमान सौंपी जाये। हालांकि, राष्टÑीय अध्यक्ष के लिए करीब आधा दर्जन नाम हवा में तैर रहे थे जिनमें केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ ही भाजपा के राष्टÑीय महासचिव विनोद तावड़े और संघ प्रचारक संजय भाई जोशी के नाम भी शामिल थे।
राष्टÑीय अध्यक्ष को लेकर संघ और भाजपा में सहमति बनाने के लिए पिछले दिनों मैराथन बैठकें हुई। इन बैठकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, संघ की तरफ से भाजपा से समन्वयक का जिम्मा संभाल रहे अरुण कुमार समेत अन्य नेता सिर जोड़ कर बैठे, इसके बाद यह तय सा लग रहा था कि अगले एक सप्ताह में भाजपा को नया राष्टÑीय अध्यक्ष मिल जायेगा।
जैसा की खबर के शुरूआत में बताया जा चुका है कि इसी बीच दो दिन पहले कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हो गया जिसमें पाक परस्त आतंकियों ने धर्म पूछकर 26 पर्यटकों की हत्या कर दी। इस घटना के बाद पूरी भारत सरकार आतंकियों के साथ ही उनके आका पाकिस्तान से बदला लेने की तैयारी में जुटी है। इस समय यदि कोई बैठक हो रही है तो वह केवल और केवल आतंकी हमले और भारत सरकार के भावी कदम को लेकर। ऐसे में अब किसी के पास यह फुर्सत नहीं है कि वह संगठन चुनाव के संबंध में सोचे या फिर बात करें। यहीं कारण है कि राष्टÑीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ ही यूपी अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह समेत कई राज्यों के अध्यक्षों के सितारे मजबूत है और ये सभी अभी कुछ दिन और यानि जब तक भारत बदला नहीं ले लेता संगठन चुनाव का मामला ठंडे बस्ते में चला गया है।
यदि संगठन स्तर पर देखा जाये तो पूरा संगठन इस दौरान एक देश एक चुनाव के अभियान पर लगा है तथा पूरे देश में गोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है।