- भाजपा जिला- महानगर अध्यक्षों की सूची को लेकर खत्म नहीं हो रही रार
- सूत्र: संभल समेत पश्चिम के कुछ जिलों को लेकर क्या चल रही है रार
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी की जिला- महानगर अध्यक्षों की सूची को लेकर आये दिन नयी नयी बातें सामने आती है। अब तो हालात यह हो गई है कि दावेदारों में निराशा पनप रही है। उधर हवा में जो खबरें तैर रही है उसके अनुसार आधी आबादी अर्थात महिलाओं, दलितों और पिछड़ा वर्ग को इस बार पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है, इससे सामान्य वर्ग के दावेदारों की बेचैनी बढ़ रही है।
बता दें कि भाजपा जिलाध्यक्ष- महानगर अध्यक्षों की सूची को लेकर पार्टी के जिम्मेदार नेता ही संघ और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के निशाने पर आ गये लगते हैं। पार्टी और संघ के पदाधिकारी- अधिकारी इस स्थिति से खासे खफ है। इसके लिये वे मुख्य रूप से पार्टी के प्रदेश के जिम्मेदार नेताओं को कारण मान रहे हैं कि उनके अड़ियल रवैये के कारण इसमें देरी हो रही है और कर्यकर्ताओं के बीच सभी हंसी के पात्र बन रहे हैं।
अब यह भी सूत्र बता रहे हैं कि आधी आबादी अर्थात महिलाओं को जहां 25 फीसद आरक्षण मिलने जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ दलित एवं पिछड़ा वर्ग को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की बात चल रही है जिससे सामान्य वर्ग के कार्यकर्ताओं में निराशा के भाव उत्पन्न हो रहे हैं। यदि यहीं स्थिति रही तो सामान्य वर्ग के खाते में बमुश्किल 15 से 20 अध्यक्ष पद ही आने की उम्मीद है। जबकि दलित, पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ताओं में खुशी है।
इसी बीच सूत्र यह भी बताते हैं कि सूची घोषित न होने के पीछे पश्चिमी उत्तर प्रदेश का संभल भी उलझन में फंसा हुआ है। प्रदेश के एक ताकतवर पदाधिकारी यहां पर वर्तमान अध्यक्ष की फिर ताजपोशी चाहते हैं, जबकि दूसरे पदाधिकारी यहां पर एक पूर्व दलित विधायक की पुत्री को अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। यदि सूत्रों की यह खबर सही है तो इससे पता चल सकता है कि प्रदेश के बड़े पदाधिकारियों में तनातनी कितनी है। इसके साथ ही पश्चिम के भी कुछ जिले अधर में है। अब देखना यह होगा कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस स्थिति को लेकर क्या रूख अपनाता है।