- भूला भटका शिविर से लगातार होती रही उद्घोषणा
- लाउडस्पीकर पर नाम सुनकर अपनों से मिले अपने
- महाकुम्भ पहुंचे श्रद्धालुओं की सहायता के लिए बनाए गए हैं शिविर
अथाह संवाददाता
महाकुम्भ नगर। ‘अंबिकापुर छत्तीसगढ़ के रहने वाले शिवम और युवराज भूला भटका शिविर में पहुंचें, यहां श्याम शर्मा आपका इंतजार कर रहे हैं। आप इस समय जहां भी हैं, वहां तैनात पुलिसकर्मी से रास्ता पूछकर शिविर में पहुंचे।’ पिंकी की मम्मी जहां कहीं भी हों, वो ब्रिज नंबर 1 पर आ जाएं…। महाकुम्भ के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पर संगम तट से लेकर सभी घाटों पर इसी तरह की आवाजें सुनाई देती रहीं। इस अनाउंसमेंट के थोड़ी देर बाद अपनों से बिछड़ गए लोग फिर मिल जाते हैं।
प्रयागराज महाकुम्भ में स्नान करने आए श्रद्धालुओं की मदद के लिए बनाए गए भूला भटका शिविर से लगातार इस तरह की उद्घोषणाएं सुनाई देती रहीं। पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के दिन सोमवार को घाटों के किनारे लगे लाउडस्पीकर से लगातार ये आवाजें सुनाई देती रहीं, जिससे उन लोगों को काफी राहत मिली जो मेले में भीड़ के कारण अपने साथ आए लोगों से बिछड़ गए हों।
सभी घाटों पर अनाउंसमेंट, तुरंत मिल रही राहत
महाकुम्भ मेला प्रशासन ने मेला में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए भूले भटके लोगों के लिए शिविर और भूली भटकी महिलाओं और बच्चों के शिविर बनाया है। पौष पूर्णिमा के स्नान पर जुटी भीड़ के दौरान परिवार से बिछड़ने वाले लोगों के लिए ये शिविर मददगार साबित होते रहे। स्नान पर्व के दौरान लगातार भूले भटके लोगों के नामों की लाउडस्पीकर के माध्यम से उद्घोषणा होती रही। सभी घाटों पर इस तरह के शिविर बनाए गए हैं और बड़ी संख्या में लाउड स्पीकर स्थापित किए गए हैं, जिससे दूर तक और पूरी स्पष्टता के साथ आवाज पहुंच रही है। इन अनाउंसमेंट को सुनकर लोग अपनों तक तुरंत पहुंच पा रहे हैं। उनकी मदद को घाटों पर तैनात पुलिस बल भी पूरी मदद कर रहा है।
संचालित किए जा रहे खोया पाया केंद्र
सामाजिक एकता के महापर्व महाकुम्भ के पहले स्नान पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की संख्या संगम में डुबकी लगाने पहुंची। पूरे देश और पूरी दुनिया से संगम में डुबकी लगाने पहुंचे लोग दिव्य, भव्य और सुव्यवस्थित कुम्भ में हिस्सेदारी करते हुए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभूति से अभिभूत दिखे। हालांकि, महाकुम्भ जैसे बड़े आयोजनों में लोगों का बिछड़ जाना आम बात है। इस व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए मेला प्रशासन की ओर से घाटों पर ही इसकी व्यवस्था की गई है। इसके बावजूद यदि कोई बिछड़ा अपने परिजनों से नहीं मिल पाता है तो फिर इसके लिए खोया-पाया केंद्र भी बनाए गए हैं, जहां डिजिटल और सोशल मीडिया टूल्स की मदद से लोगों को खोजने के प्रयास होते हैं।