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पर्यटन विभाग धार्मिक स्थलों के सौन्दर्यीकरण हेतु कटिबद्ध: जयवीर सिंह

  • जौनपुर स्थित मां शीतला चौकिया धाम एवं लखनऊ के सिद्धपीठ बाराही देवी मंदिर के पर्यटन विकास हेतु लगभग 7.13 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत

लखनऊ। पर्यटन विभाग ने जौनपुर स्थित मां शीतला चौकिया धाम और लखनऊ के रहीमाबाद मालरोड स्थित सिद्धपीठ बाराही देवी मंदिर का पर्यटन विकास के लिए लगभग 7.13 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत की गयी है, जिसमें से लगभग 3.5 करोड़ रूपये की धनराशि जारी की जा चुकी है। यह दोनों धार्मिक स्थल पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। विभिन्न अवसरों पर यहां मेले लगते हैं। इसके अलावा सालभर इन दोनों स्थलों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। पर्यटन विभाग धार्मिक स्थलों पर बुनियादी सुविधायें सुलभ कराने के लिए इन दोनों स्थलों के सौन्दर्यीकरण कराने का निर्णय लिया है।

यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि जौनपुर स्थित मां शीतला चौकियां धाम प्रसिद्ध सिद्धपीठ है। यह पावन स्थल सनातन आस्था का केंद्र है, जहां दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। नवरात्रि में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगती हैं। बच्चों के मुंडन-संस्कार के लिए भी बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। आगंतुकों के आगमन को देखते हुए पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जाएगा।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि चौकिया धाम के विकास के लिए लगभग 6.45 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें तीन करोड़ की धनराशि जारी हो चुकी है। इस राशि में टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स हॉल और पर्यटन केंद्र का विकास किया जाएगा। इसके अलावा लैंडस्केप, हॉर्टिकल्चर, प्रवेश द्वार आदि का विकास किया जाएगा। इसके अलावा, बेंचेज, साइनेज, पेयजल सहित अन्य पर्यटक सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

इसी तरह आस्था के केंद्र बाराही देवी मंदिर का भी पर्यटन विकास कराया जाएगा। इसके लिए लगभग 68.24 लाख रुपए स्वीकृत हुए हैं, जिसमें 40 लाख रुपए जारी किए जा चुके हैं। कुल धनराशि से चेंजिंग रूम, शौचालय ब्लॉक, पेयजल सुविधा, इंटरलॉकिंग टाइल्स, चबूतरा सहित कई अन्य कार्य कराए जाएंगे।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से विकास करने वाला राज्य है। प्राथमिकता के आधार पर पर्यटन स्थलों के साथ-साथ पर्यटक सुविधाओं का विकास भी किया जा रहा है। ताकि, यहां आने वाले पर्यटक विशिष्ट अनुभव लेकर लौटें। उन्होंने बताया कि धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार तथा सौन्दर्यीकरण का उद्देश्य अधिक से अधिक पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं को आकर्षित करना है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ आमदनी का जरिया भी सृजित होता है।

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