अथाह ब्यूरो
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राज्य मुख्यालय, लखनऊ सहित प्रदेश के सभी जनपदों में संविधान दिवस मनाया गया। समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय 19 विक्रमादित्य मार्ग पर भारत के संविधान में उल्लिखित उद्देशिका का राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी तथा प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने संविधान मान स्तम्भ के समक्ष वाचन किया। समाजवादी पार्टी ने संविधान के मूल उद्देश्यों की सुरक्षा एवं संविधान की गरिमा बनाए रखने का संकल्प भी लिया।
स्मरणीय है, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी मुख्यालय लखनऊ में 26 जुलाई 2024 को आरक्षण दिवस पर संविधान मान स्तम्भ की स्थापना की थी। इसी दिन महात्मा ज्योतिबा फु ले द्वारा संकल्पित आरक्षण को कोल्हापुर के महाराजा छत्रपति साहू जी महाराज ने 26 जुलाई 1902 में अपने राज्य में आरक्षण लागू कर दिया जो एक क्रांतिकारी कदम था, उन्होंने सरकारी नौकरियों में पिछड़ी जाति के पचास प्रतिशत लोगों को आरक्षण देने का फैसला किया। यह एक ऐसा फैसला था जिसने आगे चलकर आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था करने की राह दिखाई।
इस अवसर पर अपने संदेश में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान ही संजीवनी है। संविधान को मानना और उसके दिखाए रास्ते पर चलना ही सबसे बड़ा उत्सव है। ये हर दिन सच्चे मन से निभाने वाला फर्ज है, कोई दिखावटी सालाना जलसा नहीं। एक तरफ भाजपा संविधान को ताक पर रखकर मनमानी करना चाहती है, तो दूसरी तरफ दिखावा करना चाहती है। भाजपा का ये राजनीतिक दोहरापन देश और देशवासियों के लिए घातक है। जब संविधान के मान-सम्मान और उसे व्यवहार में लाने के संबंध में हालात बद से बदतर हो रहे हैं, संविधान का हर दिन तिरस्कार-अपमान हो रहा है, ऐसे में उत्सव मनाना हमारे सिद्धांतों के खिलाफ है। उत्सव ढोंग नहीं होना चाहिए।
राजेन्द्र चौधरी तथा श्याम लाल पाल ने भारत के संविधान की जिस उद्देशिका का वाचन किया इसमें कहा गया है: हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई0 (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी) को एतदद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।