अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। यूपी बार काउंसिल ने चार नवंबर को पूरे प्रदेश में हड़ताल का एलान किया है। यह निर्णय गाजियाबाद बार एसोसिएशन की अपील पर लिया गया है। बार का कहना है कि जिला जज अनिल कुमार का तबादला होने और लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होने तक आंदोलन किया जाएगा।
वकीलों का कहना है कि पुलिस ने मंगलवार को बर्बर तरीके से लाठीचार्ज किया। इसमें 25 से 30 वकील घायल हुए। सभी का उपचार चल रहा है। गाजियाबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में हड़ताल का निर्णय पहले ही ले लिया गया था। बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश ने पूरे प्रदेश में हड़ताल का एलान कर दिया है। चार नवंबर को कोई भी अधिवक्ता न्यायिक कार्य नहीं करेगा।बार काउंसिल आॅफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शिवकिशोर गौड़ ने पत्र इस संबंध में पत्र जारी कर दिया है। पत्र में बताया गया है कि इस प्रकरण की जांच के लिए बार काउंसिल आॅफ उत्तर प्रदेश के पांच सदस्यों की एक जांच समिति गठित की है। 29 अक्तूबर को जिला जज के आदेश पर न्यायालय परिसर में पुलिस ने लाठी चार्ज किया। शिवकुमार गौड़ का कहना है कि आपात बैठक कर बहुमत से निर्णय लिया गया है कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश को जिला जज गाजियाबाद के आचरण और प्रदेश के अधिवक्ताओं के रोष के बारे में जानकारी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट आॅन रिकार्ड एसोसिएशन ने भी घटना की निंदा की है। एसोसिएशन के सचिव निखिल जैन ने घटना की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है। दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज के अवकाश के बाद अब चार नवंबर को कोर्ट खुलेगी।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंचे पीड़ित वकील
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिला कोर्ट में बीते दिनों हुए बवाल का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंच गया है। कोर्ट की कार्यवाही के दौरान जिला जज ने पुलिस बुलाए जाने और बेकसूर अधिवक्ताओं के ऊपर लाठी बरसाने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को शिकायत की है। मानवाधिकार कार्यकर्ता एडवोकेट विष्णु कुमार गुप्ता ने बताया कि अधिवक्ता की भी अपनी मान मयार्दा है। वह आॅफिसर आॅफ द कोर्ट होता है। इस घटना से अधिवक्ताओं के अधिकारों, मान सम्मान, मयार्दा का हनन हुआ है। भरी अदालत में पुलिस द्वारा अधिवक्तागणों पर लात, घूंसे चलना, लाठी बरसाना अधिवक्ताओं की स्वायत्तता पर कुठाराघात है और इस प्रकार से अधिवक्तागण स्वतंत्र रूप से अपना कार्य नहीं कर पाएंगे। इसलिए उनके द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में एक याचिका लगाई गई है। जिसमें मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार को आदेशित करने की प्रार्थना की गई है कि भविष्य में उक्त प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति ना हो और अधिवक्तागण निर्बाध रूप से कोर्ट रूम में अपना न्यायिक कार्य कर सकें। प्रदेश की सिविल पुलिस एवं अन्य पुलिस बल के लिए रूल्स रेगुलेशन सृजित कर माननीय आयोग के समक्ष एक सप्ताह के अन्दर प्रस्तुत किया जाए। घटना में घायल प्रत्येक अधिवक्ता को 10-10 लाख का मुआवजा राज्य सरकार द्वारा दिया जाए। घायल अधिवक्ताओं का सामाजिक न्याय के तहत प्रतिष्ठित अस्पताल में राज्य सरकार की ओर से मुफ्त इलाज कराया जाए।