17 सितंबर को पांच विशिष्ट पर्वों का योग बन रहा है।17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी ,विश्वकर्मा पूजा ,श्री गणेश विसर्जन पूर्णिमा का व्रत और श्राद्ध पक्ष आरंभ होंगे।शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद के आचार्य शिव कुमार शर्मा ने बताया कि 17 सितंबर को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है जो 11: 44 बजे तक रहेगी ।इसके बाद पूर्णिमा आ जाएगी। अनंत चतुर्दशी का उत्सव उदयकालीन तिथि में 17 सितंबर को ही मनाया जाएगा,इसमें भगवान विष्णु की पूजा होती है। अनंत पीले धागे के रूप में ब्राह्मण या कुल पुरोहित अपने यजमान को बांधते है और उनकी कुशलता की कामना करते है। 17 सितंबर को ही सृष्टि के रचयिता भगवान विश्वकर्मा जयंती है इस दिन व्यापारी लोग अपनी कंपनी और उपकरणों का पूजन करते हैं । विश्वकर्मा पूजन और यज्ञ का भी आयोजन होता है। 27 सितंबर को ही भगवान गणेश जी का विसर्जन है। गणेश चतुर्थी से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तक अर्थात 10 दिन तक गणेश जी घरों में विराजमान रहते हैं। इस दिन उनका जल में विसर्जित करते हैं और अगले वर्ष पुनः की कामना करते हैं। इसके साथ-साथ क्योंकि पूर्णिमा तिथि 11:44 बजे आ जाएगी , इसलिए पूर्णिमा का व्रत व सत्यनारायण कथा का आयोजन इस दिन होगा। और सबसे बड़ी बात क्योंकि चतुर्दशी तिथि 11:44 बजे समाप्त हो जाएगी तत्पश्चात पूर्णिमा आ जाएगी तो पूर्णिमा का श्राद्ध भी 17 तारीख को ही होगा अर्थात पूर्णिमा से श्राद्ध पक्ष आरंभ हो जाएगा। क्योंकि कुतप काल में ही अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध करना चाहिए । कुतप काल मध्यान्ह 11:00 के बाद होता है। इसलिए श्राद्ध करने के लिए यही समय अच्छा रहता है ।किंतु वर्तमान में देश काल परिस्थिति के अनुसार नौकरी ,व्यापार के चलते उस समय तक श्राद्ध करना परिवारों में संभव नहीं हो पाता। इसलिए लोग प्रातः काल ही अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध कर देते हैं।अगले दिन पूर्णिमा प्रातः काल 8:03 तक है उसके बाद प्रतिपदा तिथि आएगी इसलिए पड़वाका श्राद्ध भी 18 तारीख को होगा। क्योंकि 18 तारीख को प्रातः पूर्णिमा के बाद प्रतिपदा तिथि आ जाएगी।श्राद्ध की तिथियां की सूची इस प्रकार है।17 सितंबर , मंगलवार,अनंत चतुर्दशी 11:44 बजे तक, पूर्णिमा का व्रत,17 सितंबर,पूर्णिमा का श्राद्ध , श्राद्ध पक्ष आरंभ।
18 सितंबर, बुधवार ,प्रतिपदा का श्राद्ध 19 सितंबर, गुरुवार,द्वितीया का श्राद्ध।
20 सितंबर, शुक्रवार, तृतीया का श्राद्ध 21 सितंबर, शनिवार, चतुर्थी का श्राद्ध
22 सितंबर , रविवार,पंचमी का श्राद्ध 23 सितंबर , सोमवार ,षष्ठी का श्राद्ध 24 सितंबर, , मंगलवार,सप्तमी का श्राद्घ।25 सितंबर , बुधवार,अष्टमी का श्राद्घ
26 सितंबर , बृहस्पतिवार, नवमी का श्राद्ध, ।27 सितंबर , शुक्रवार,दशमी का श्राद्ध 28 सितंबर, शनिवार एकादशी का श्राद्ध, ।
29 सितंबर, रविवार, द्वादशी का श्राद्ध 30 सितंबर, सोमवार, त्रयोदशी का श्राद्ध 1 अक्टूबर, मंगलवार, चतुर्दशी का श्राद्ध 2 अक्टूबर, बुधवार,सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध।पितृ विसर्जन अमावस्या को बन रहा है गजच्छाया योग।अगले लेख में जाने क्या महत्व होता है गजच्छाया योग का।
आचार्य शिवकुमार शर्मा, आध्यात्मिक गुरु ,ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंटगाजियाबाद,9811893069
ReplyForwardAdd reaction |