Dainik Athah

घर लंच पर जा रहे थे, फरियादियों को देखा तो ठिठक गये कदम

  • गाजियाबाद जिलाधिकारी का नजर आया अलग रूप
  • कार्यालय से बाहर खड़े होकर सुनी समस्या, समाधान का भरोसा
  • बुजुर्ग महिला को देखा तो पूछ लिया अम्मा क्या हुआ, पेंशन के मामले को शीघ्र हल करने के दिये निर्देश

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद।
गाजियाबाद के जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह अपने कड़क मिजाज के लिए जाने जाते हैं। बैठकों में वे विभिन्न विभागों के अधिकारियों की जिस प्रकार क्लास लेते हैं उसे देखते हुए समीक्षा बैठक के नाम से जिले के अफसरों को पसीना आने लगता है। लेकिन वे जितने कड़क है उतने ही रहम दिल है तथा आम जनता की समस्याओं का समाधान करना उनकी प्राथमिकता में है।

डीएम इन्द्र विक्रम सिंह के कड़कपन का हाल तो यह है कि बैठक में बगैर तैयारी के आने वाले अधिकारियों वे सख्ती से पेश आते हैं। एक बैठक में तो उन्होंने एक विभाग के अधिकारियों से कह दिया गोबर खाने की आदत पड़ गई है। हालत यह है कि कोई भी गलत काम अथवा नियमों का उल्लंघन उन्हें गुस्सा दिला देता है। उनके गुस्से का शिकार अब तक अनेक लोग हो चुके हैं, लेकिन एक आदत यह भी है कि वे डांट फटकार कर छोड़ देते हैं, किसी का नुकसान नहीं करते। यदि वे कोई काम नहीं कर सकते तो मंत्री तक को साफ कह देते हैं कि यह काम नहीं हो सकता।
मंगलवार को डीएम इन्द्र विक्रम सिंह दोपहर दो बजे अपने कार्यालय से निकले। उन्होंने देखा कि कुछ लोग उनके दरवाजे की तरफ आस लगाये बैठे हैं। इस पर डीएम ठिठक गये और अपने अर्दली से पूछा कि क्या कुछ लोग मिलने से वंचित रह गये हैं। इस पर अर्दली प्रशांत ने कहा जी सर तीन- चार लोग रह गये। इस पर उन्होंने वहीं खड़े खड़े उन्हें अपने पास बुलाया और उनकी समस्याएं पूछी। समस्या सुनने के बाद उन्होंने अपने अधीनस्थ को निर्देश दिया कि इनकी समस्या का समाधान जल्द से जल्द करवाया जाये। यहीं पर कुछ लोगों ने उन्हें ज्ञापन भी दिया।

इन्द्र विक्रम सिंह कुछ कदम ही चले थे कि एक बुजुर्ग महिला अपनी पोती के साथ कलक्ट्रेट के दरवाजे की तरफ जाती नजर आई। डीएम ने पहले अम्मा जी को राम राम कहा और इसके बाद पूछा कि यहां क्यों आई हो, कोई परेशानी हो तो बताओ। बुजुर्ग अम्मा ने बताया कि वह पेंशन के लिए यहां आई है। अम्मा और उनकी पोती को जब बताया कि उनसे पूछताछ करने वाले जिलाधिकारी है तो उनकी पोती ने बताया कि पेंशन के लिए जीवन प्रमाण पत्र के लिए आई है। इस पर उन्होंने अपने ओएसडी को निर्देश दिये कि अम्मा जी के साथ कोषागार जायें और तत्काल उनकी समस्या का समाधान करवायें, जिससे अम्मा जी को दोबारा परेशान न होना पड़े।
जिलाधिकारी का यह रूप देखकर मौके पर मौजूद आम लोग भी उनकी सराहना करते दिखे। एक व्यक्ति दूसरे से कह रहा था डीएम साहब को कड़क बताया जा रहा है, लेकिन वे तो इतने सरल है कि बीच रास्ते में भी समस्या सुनकर लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं।


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