- 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है इन नवरात्रों में: शिव शंकर ज्योतिष
वर्ष भर में चार नवरात्रि होते हैं ,दो प्रत्यक्ष नवरात्रि ,शारदीय नवरात्रि और वासंतिक नवरात्रि जो अश्विन और चैत्र के महीने में आते हैं और दो गुप्त नवरात्रि जो आषाढ़ और माघ के महीने में होते हैं। प्रत्यक्ष नवरात्रों में मां भगवती के शैलपुत्री आदि नवदेवियों की पूजा होता है किंतु गुप्त नवरात्रों में भगवती मां की 10 महाविद्याओं की पूजा होती है ।इन्हें साधक, तांत्रिक लोग करते हैं अथवा सामान्य व्यक्ति भी जो कोई साधना मंत्र जाप , विशिष्ट पूजा करना चाहे तो उसे कर सकता है। दस महाविद्याए इस प्रकार हैंकाली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला। इन देवियों पूजा की जाती है।6 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा शनिवार को पुनर्वसु नक्षत्र होने कारण छत्र बनता है ।छत्र योग में नवरात्रि का आयोजन बहुत शुभ माना गया है।शनिवार से आरंभ होने के कारण दुर्गा माता अश्व पर सवार होकर आएंगी। वैसे तो दुर्गा माता का वाहन सिंह है ,लेकिन नवरात्रि में दिनों के अनुसार उनके अलग-अलग वाहन ज्योतिष शास्त्र में बताए गए हैं। शनिवार को नवरात्रि होने से मां भगवती घोड़े पर सवार होकर आएंगी। जब माता घोड़े पर सवार होकर आती है तो देश में और विश्व भर में उपद्रव तथा अराजकता फैलती है।
एक देश दूसरे पर युद्ध थोपेंगे।प्रशासनिक हलचल रहेगी। जनता में असंतोष रहेगा। यद्यपि वर्षा की अधिकता रहेगी जो फसल के लिए किसानों के लिए शुभ योग है। *कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त*प्रातः 8:37 बजे से 9:00 बजे तक सिंह लग्न (स्थिर लग्न)9:00 बजे से 10:30 बजे तक राहुकाल है इसको त्यागना चाहिए।11:36 बजे से 12: 24 बजे तकअभिजित मुहूर्त।15:31 बजे से 17:49 बजे तक वृश्चिक लग्न ( स्थिर लग्न)दुर्गा सप्तमी का व्रत 13 जुलाई को रखा जाएगा, दुर्गा अष्टमी का व्रत 14 जुलाई को और महानवमी 15 जुलाई को होगी। उसी दिन भगवती मां का विसर्जन हो जाएगा।आचार्य शिवकुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट गाजियाबाद