- गुंडई करने वाले पार्षद की गिरफ्तारी का मामला
- कहीं न कहीं भाजपा की गुटबाजी भी नजर आ रही पार्षदों के आंदोलन में
- पार्षद भी देख रहे खुद के हित, पुलिस पर बनाना चाह रहे दबाव
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। खोखा चलाने वाले दंपत्ति पर भाजपा के पार्षद के हमले, मारपीट एवं लूटपाट के आरोपों में गिरफ्तारी के बाद जहां पार्षद लगातार पुलिस पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ जिले के सभी विधायक चुप्पी साधे हैं। जिसे भाजपा की गुटबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है। पार्षद पुलिस पर आखिरकार दबाव क्यों बनाना चाह रहे हैं इसको लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। यदि सूत्रों पर भरोसा करें तो आने वाले समय में रेहड़ी- ठेली- पटरी वाले पार्षदों के खिलाफ एकजुट हो सकते हैं।
बता दें कि तीन दिन पहले भाजपा पार्षद सुधीर कुमार आधी रात के बाद एक खोखे पर पहुंचे वहां सुधीर का खोखा चलाने वाले दंपत्ति से विवाद हो गया। इसके बाद महिला की पिटाई की गई। पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई। सीसीटीवी फुटेज वायरल होने के बाद पार्षद को पुलिस ने गंभीर धाराओं में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद पार्षदों में पुलिस के खिलाफ नाराजगी उत्पन्न हो गई। पार्षद एकत्र होकर महापौर सुनीता दयाल के पास पहुंचे और उन्होंने पुलिस आयुक्त को फोन लगाया। करीब एक घंटे बाद पुलिस आयुक्त ने महापौर को फोन किया और टका सा जवाब दे दिया कि पार्षद गुंडा और बदमाश है। उसने लूटपाट की। इस जवाब से भौंचक महापौर ने पार्षदों को खुली छूट दे दी कि वे कुछ भी करने को स्वतंत्र है।
महापौर का इशारा मिलने के बाद पार्षदों के निशाने पर पुलिस आयुक्त आ गये। बुधवार की देर शाम और गुरुवार को पार्षद एकत्र होकर पुलिस आयुक्त निवास का घेराव करने जा पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें आयुक्त आवास के आसपास भी नहीं फटकने दिया। इस दौरान कुछ अति उत्साही पार्षदों से पुलिस की धक्का मुक्की भी हुई। लेकिन मामले का कोई हल नहीं निकला है। गुरुवार को भी पार्षदों ने दोपहर के बाद महापौर के पास पहुंचकर दिनभर की बातें बताई।
सूत्रों के अनुसार इस मामले में महापौर के फ्रंट फुट पर आने के बाद विधायकों ने खुद को सीमित कर लिया है। कोई भी विधायक अथवा संगठन पदाधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। इतना अवश्य है कि हंगामा करने वाले पार्षदों में इन सभी नेताओं के समर्थक पार्षद भी है, बावजूद इसके वे सभी चुप्पी साधे हैं। इससे यह संदेश जा रहा है कि महापौर का विधायकों एवं संगठन से तालमेल ठीक नहीं है। भाजपा के कुछ नेता नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताते हैं जो काम गिरफ्तार पार्षद ने किया वैसा ही काम कुछ अन्य पार्षद भी कर रहे हैं। पुलिस पर दबाव बनाकर वे खुद को सुरक्षित करना चाहते हैं।
25 को दिल्ली में चुनाव को देखते हुए पार्षदों के आंदोलन को ठीक नहीं मानते नेता
भाजपा सूत्रों के अनुसार 25 मई को दिल्ली की सभी सातों सीटों पर लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। ऐसे समय पर पार्षदों के हंगामे को भाजपा उचित नहीं मानती है। भाजपा का मानना है कि यह मुद्दा दिल्ली चुनाव में उठ गया तो पार्टी को नुकसान भी हो सकता है। अब देखना यह है कि आने वाले समय में पार्षदों की रणनीति क्या होती है। बात संगठन की करें तो प्रदेश संगठन के पदाधिकारी छठे और सातवें चरण के चुनाव में व्यस्त है। उनके लिए चुनाव महत्वपूर्ण है।