हिंडन पार वाले इलाके में अवैध निर्माण को कथित रूप से राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के जोन-2 में चल रहे अवैध निर्माण में जान गंवाने वाले मजदूर को जहां दो महीने बाद भी न्याय नहीं मिला वहीं प्राधिकरण के अधिकांश जोन में अवैध निर्माण कुकुरमुत्तों की तरह सिर उठा रहे हैं। अवैध निर्माण के लिए सबसे अधिक कुख्यात जोन-7 में जीडीए उपाध्यक्ष के औचक निरीक्षण के बाद यह उम्मीद बंधती नजर आई है कि निजी बिल्डर्स और जीडीए अभियंताओं व अधिकारियों का गठबंधन टूटे भले ही ना लेकिन कमजोर तो पड़ेगा ही। आर्थिक रूप से डूबता हुआ जहाज कहे जाने वाले जीडीए के मौजूदा उपाध्यक्ष अतुल वत्स की कार्यशैली से यह उम्मीद बलवती होती है कि जहां अवैध निर्माण पर अंकुश लगेगा वहीं प्राधिकरण की आर्थिक सेहत भी सुधरेगी।
गौरतलब है कि जीडीए को लंबे समय से डूबता हुआ जहाज माना जा रहा है। यह जगजाहिर है कि इस जहाज को डुबोने का काम कथित रूप से यहां तैनात कुछ अभियंताओं व अधिकारियों द्वारा ही किया जा रहा था। बीते लगभग छह सालों में इसकी कमान कंचन वर्मा, ऋतु महेश्वरी, कृष्णा करूणेष, राकेश कुमार सिंह व इंद्र विक्रम सिंह जैसे कर्मठ आईएएस अधिकारियों के हाथ में होने के बावजूद जीडीए के उद्धार की कोई सूरत नजर नहीं आई। बल्कि अवैध निर्माण का कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से फलता फूलता रहा। लेकिन मौजूदा उपाध्यक्ष गौड़ ने अपने अल्प कार्यकाल में यह दर्शा दिया है कि वह न सिर्फ डूबते हुए जहाज को किनारे लगाएंगे, बल्कि अवैध निर्माण के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करेंगे और जीडीए की आर्थिक सेहत भी सुधारेंगे।
सोमवार को उपाध्यक्ष द्वारा जोन-7 में अवैध निर्माण का औचक निरीक्षण करने का सकारात्मक पक्ष मंगलवार को ही देखने को मिल गया। जीडीए के गलियारों से लेकर अभियंताओं के कक्षों में दिनभर इस बात के कयास लगाए जाते रहे कि उपाध्यक्ष महोदय आज (मंगलवार को) किस इलाके का औचक निरीक्षण कर रहे हैं। इन्हीं कयासों के बीच सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि प्रवर्तन विभाग के सभी जोन के सुपरवाइजर और जूनियर इंजीनियर इस बात की दुआ करते नजर आए कि उपाध्यक्ष महोदय उनके इलाके में निरीक्षण करने न पहुंच जाएं।
यही नहीं जिन अवैध निमार्णों का ब्यौरा तलब करने पर भी पूर्व उपाध्यक्षों को उपलब्ध नहीं करवाया जाता था, आज उसकी पूरी फेहरिस्त जूनियर इंजीनियर्स से लेकर सुपरवाइजर के हाथ में दिखाई दी। अवैध निर्माण के लिए बदनाम कहे जाने वाले प्रवर्तन विभाग के अधिकांश अभियंता अपने इलाके के निर्माणकतार्ओं को निर्माण बंद करने, स्थल पर स्वीकृत नक्शे की प्रति रखने और आधे-अधूरे निर्माण की रंगाई पुताई करने की सलाह देते नजर आए।
गौरतलब है कि चुनाव के दौरान अधिकांश बिल्डर्स और प्रवर्तन जोन के प्रभारी बेखौफ हो जाते हैं। इसको लेकर आम धारणा यह है कि इस अवधि में सरकारी मशीनरी की आंखें बंद रहती हैं। लेकिन उपाध्यक्ष की एक दिन की कार्रवाई ने जीडीए प्रवर्तन विभाग के भ्रष्टाचार की इमारत की भूलें हिला दीं।
देखने वाली बात यह है कि अवैध निर्माण के खिलाफ जीडीए उपाध्यक्ष की मुहिम क्या रंग लाती है? क्योंकि हिंडन पार वाले इलाके में अवैध निर्माण को कथित रूप से राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है।