Dainik Athah

सांसदों- विधायकों की भांति आपराधिक मामलों में प्रशासनिक अफसरों पर भी हो कार्रवाई

  • भाजपा एमएलसी विजय बहादुर पाठक- दिनेश कुमार गोयल ने उठाया सवाल
  • दिनेश गोयल ने कहा कार्यकाल पूरा होने के बाद भी सांसदों- विधायकों के खिलाफ होती है कार्रवाई
  • प्रशासनिक अधिकारी सेवा निवृत्ति के बाद मामलों को ऊंची पहुंच से दबा देते हैं
  • कहा- प्रशासनिक अफसरों के खिलाफ मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए हो विशेष न्यायालयों की स्थापना


अथाह ब्यूरो
लखनऊ
। भाजपा के विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक एवं दिनेश कुमार गोयल ने विधान परिषद में सवाल उठाते हुए मांग की कि सांसदों- विधायकों की भांति ही प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रेक कोर्ट की व्यवस्था हो। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि यहीं कारण है कि प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती है और वे सेवानिवृत्त हो जाते हैं। जिस प्रकार दोनों ने प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न होने पर सवाल उठाया है वह पूरे प्रदेश ही नहीं देश की सरकारी मशीनरी के खिलाफ कार्रवाई न होने पर सवाल खड़े कर रहा है।

शीतकालीन सत्र के दौरान विजय बहादुर पाठक व दिनेश कुमार गोयल ने सदन के समक्ष नियम-110 के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 के आदेश द्वारा सरकार को निर्देशित किया था कि सांसदों/ विधायकों से जुड़े आपराधिक एवं भ्रष्टाचार समेत अन्य मामलों से संबंधित वादों की शीघ्र सुनवाई करते हुए उनके निस्तारण हेतु विशेष न्यायालयों की स्थापना की जाए। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों के उपर लम्बित ऐसे मामलों के वादों के शीघ्र निस्तारण हेतु कोई सुनिश्चित व्यवस्था अथवा दिशा निर्देश न होने के कारण इन संवर्गो के प्रकरणों का सही से निस्तारण नहीं हो पा रहा है।

दोनों विधान परिषद सदस्यों ने कहा कि वर्तमान समय में कई ऐसे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी है जो अपराध, भ्रष्टचार से लेकर महिला उत्पीड़न तक के मामलें मे लिप्त पाये गये या आरोपित किये गये। ऐसे अधिकारियों के विरूद्ध केवल जांच की कार्यवाही की जाती रही। कई लोगों पर तो जांचोपरान्त किसी प्रकार की कार्यवाही भी नहीं हो पायी और जब कार्यवाही की स्थिति बनी तो वे या तो सेवानिवृत्त हो गये या उनकी ऊंची पहुंच के कारण मामला ठण्डे बस्ते में चला गया। जबकि सांसद और विधायकों पर कानूनी कार्यवाही उनकी सदन की सदस्यता समाप्त होने के बाद भी उनके विरूद्ध की गई।
दिनेश कुमार गोयल ने कहा राजनीति में अपराधीकरण और भ्रष्टाचार को रोकने सम्बन्धित कई प्रकार के वैधानिक उपाय किए गये हं,ै किन्तु प्रशासनिक अधिकारियों के विरूद्ध ऐसे एक भी उपाय नहीं खोजे गये कि उनके सेवाकाल में ही उनके विरूद्ध कानूनी कार्यवाही हो सकें। दोनों विधान परिषद सदस्यों ने कहा अत: लोकमहत्व के इस सुनिश्चित विषय पर सांसदो और विधायकों की ही भांति प्रशासनिक अधिकारियों पर जारी मामलों को भी विशेष वरियता देते हुए समयबद्ध कानूनी कार्यवाही किये जाने हेतु एक सुनिश्चित व्यवस्था बनायी जाए इस पर चर्चा/वकतव्य की मांग की गयी।


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