नवरात्र से शुरू होंगे पूरे प्रदेश में अनुसूचित जाति के सम्मेलन
पहल हर क्षेत्र में होंगे सम्मेलन, इसके बाद जिला- विधानसभा स्तर पर होगा आयोजन
अशोक ओझा लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने अब अपना पूरा फोकस 2024 के लोकसभा चुनावों पर कर दिया है। चुनावों के मद्देनजर अपना पूरा ध्यान दलित मतदाताओं पर केंद्रीत कर दिया है। इसके साथ ही पार्टी की योजना क्षेत्र से लेकर विधानसभा स्तर तक अनुसूचित जाति के सम्मेलन करने पर है। इन सम्मेलनों में प्रदेश के बड़े नेताओं के साथ ही बड़े दलित चेहरे भी नजर आयेंगे। बता दें कि जब से बहुजन समाज पार्टी कमजोर हुई है उसके साथ ही दलित मतदाताओं का बसपा से मोहभंग होना शुरू हो गया है। इस समय सपा एवं आजाद समाज पार्टी की नजर दलित मतदाताओं पर है। दोनों ही दल इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। जबकि दलित मतदाताओं की पसंद बसपा के बाद भाजपा है। यदि पिछले एक दशक में हुए चुनावों को देखें तो दलित मतदाताओं का झुकाव भाजपा की तरफ बढ़ा है। अब पार्टी दलितों को पूरी तरह से साधने के अभियान पर काम कर रही है। इसके मद्देनजर पूरे प्रदेश में नवरात्र से अनुसूचित जाति के सम्मेलनों का आयोजन किया जायेगा। पहले ये सम्मेलन पूरे प्रदेश के सभी छह क्षेत्रों में होंगे। बता दें कि भाजपा ने संगठन की दृष्टि से प्रदेश को छह हिस्सों में विभाजित किया हुआ है। भाजपा सूत्रों के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सम्मेलन मेरठ, मुजफ्फरनगर अथवा मुरादाबाद में आयोजित किया जायेगा। इसकी रूपरेखा तय की जा रही है। इसके बाद प्रदेश के हर जिले में अनुसूचित जाति के सम्मेलन आयोजित किये जायेंगे। जिला स्तर के बाद विधानसभा स्तर पर सम्मेलनों का आयोजन किया जायेगा। इन सम्मेलनों में पार्टी के प्रदेश एवं केंद्र के बड़े नेताओं के साथ ही प्रदेश संगठन के अनुसूचित जाति के पदाधिकारी भी सम्मेलनों में जायेंगे। इतना ही नहीं सरकार में असीम अरुण, बेबी रानी मौर्य समेत कई अनुसूचित जाति के मंत्री है इनको को सम्मेलनों में प्रमुख रूप से भेजा जायेगा। पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने लखनऊ में अनुसूचित मोर्चा का सम्मेलन आयोजित किया था। इस सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से पहुंचे अनुसूचित मोर्चा के पदाधिकारियों से सुझाव मांगे गये थे कि दलित समाज को अधिक से अधिक संख्या में पार्टी से कैसे जोड़ा जाये। भाजपा सूत्रों की मानें तो प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण को दलित समाज के नेताओं को जोड़ने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। असीम अरुण विभिन्न जिलों में इस काम को बखूबी अंजाम भी दे रहे हैं। भाजपा नहीं चाहती कि बसपा के बाद कोई अन्य दल इस समाज में घुसपैठ करें। यदि भाजपा की रणनीति सफल होती है तो निश्चित ही भाजपा को प्रदेश के साथ ही देश के अन्य हिस्सों में लाभ हो सकता है।