- सरकारी भूमि पर किया नक्शा पास फिर आपत्ति के बावजूद जारी किया अनापत्ति प्रमाणपत्र
- डीएम की जांच में नपेंगे तहसील और जीडीए के की आला अधिकारी
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। जीडीए उपाध्यक्ष एवं जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह के समक्ष मंगलवार को एक ऐसा प्रकरण पेश किया गया जिसे देख कर श्री सिंह भी भौंचक्के रह गए। यह प्रकरण सरकारी भूमि पर निर्मित एक लॉ कॉलेज से जुड़ा है। जिस भूमि पर लॉ कॉलेज बना हुआ है उसमें से कुछ भूमि राजस्व विभाग में बंजर के रूप में दर्ज है। यही नहीं उस भूमि पर निर्माण की मंजूरी जीडीए द्वारा ही प्रदान की गई है। इस प्रकरण में जिलाधिकारी श्री सिंह के असमंजस की मुख्य वजह यह बताई जाती है कि राजस्व विभाग और जीडीए के मुखिया श्री सिंह स्वयं हैं। गंभीर प्रकृति का मामला संज्ञान में आने के बाद श्री सिंह ने इस प्रकरण की जांच के आदेश दे दिए हैं। विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2009-10 में जनहित एजुकेशन सोसाइटी द्वारा ग्राम मटियाला की भूमि पर लॉ कॉलेज के निर्माण के लिए जीडीए में नक्शा स्वीकृति के लिए जमा किया गया था। बताया जाता है कि सोसाइटी ने जिस भूमि पर निर्माण संबंधी दस्तावेज प्राधिकरण को सौंपे थे उसमें राजस्व ग्राम मटियाला की खसरा संख्या 374 वे 376 का स्वामित्व स्वयं का दर्शाया गया था। जीडीए सूत्रों का कहना है कि नक्शा स्वीकृति हेतु जो दस्तावेज सौंपे गए थे उनमें उन दोनों खतरों का स्वामित्व एजुकेशन सोसाइटी का ही दर्ज था, इसलिए नक्शा स्वीकृत कर दिया गया था। जीडीए द्वारा नक्शा स्वीकृत होने के पश्चात भवन निर्माण के बाद कॉलेज को बार काउंसिल ऑफ इंडिया तधा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से संबद्धता मिल गई थी।
सूत्रों का कहना है कि हर पांच साल बाद कॉलेजों को विश्वविद्यालय स्तर से मान्यता का सत्यापन कराना होता है। जनवरी 2023 में विश्वविद्यालय द्वारा कॉलेज को संबंधित विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त कर प्रस्तुत करने को कहा गया। लगभग 15 वर्षों से अनवरत रूप से चल रहे कॉलेज संचालकों को इस बात का अनुमान नहीं रहा होगा कि यह इमारत सरकारी भूमि पर बनी हुई है। लिहाजा कॉलेज स्तर पर जीडीए के सम्मुख अनापत्ति प्रमाण पत्र हेतु पत्र प्रस्तुत कर दिया गया। यह पत्र जीडीए द्वारा जांच हेतु जिलाधिकारी कार्यालय को भेजा गया। जांच में एक बड़ा घोटाला सामने आया। अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) ने जिलाधिकारी को प्रेषित अपनी आंख्या में स्पष्ट किया कि “जनहित लाॅ स्कूल ग्राम मटियाला का मानचित्र संख्या 1540/ जीएमपी/ इंस्टि/ 2009-10 दिनांक 10 मार्च 2010 प्राधिकरण द्वारा विशेष अनुमति से स्वीकृत किया गया है। उक्त के संबंध में अवगत कराना है कि ग्राम मटियाला के खसरा संख्या 374 वे 376 की वर्तमान खतौनी (संलग्न) के अनुसार उक्त खसरा नंबरान में फर्जी इंद्राज/ प्रविष्टि पाए जाने के दृष्टिगत पूर्व की भांति बंजर दर्ज कर दिया गया है।
ऐसी स्थिति में जब ग्राम मटियाला के खसरा संख्या 374 व 376 वर्तमान में बंजर दर्ज हैं तो क्या संबद्धता हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है?” अपर जिलाधिकारी की जांच आख्या यह संकेत करती है कि सरकारी भूमि पर हुए फर्जीवाड़ा को दुरुस्त कर दस्तावेज में भूमि को पुनः बंजर दर्ज कर दिया गया है लिहाजा जीडीए द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जा सकता। ऐसे में यह संदेह होना लाजमी है कि तहसील कार्यालय के अलावा इस घोटाले में जीडीए के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। जिलाधिकारी वेजीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह की जांच के नतीजों का सभी को बेसब्री से इंतजार है।
दोषियों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई जिलाधकारी
जीडीए वीसी एवं जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कहा कि बंजर भूमि में संचालित जनहित एजुकेशन लॉ कॉलेज के पूरे प्रकरण की निष्पक्षता से जांच कराई जा रही है। जिस किसी की भी संलिप्तता पाई जाती है उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। दोषी कितना भी रसूख वाला हो किसी भी सूरत में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।