अथाह ब्यूरो
नई दिल्ली। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलाधिपति डॉ अशोक मोदक ने कहा कि वीर सावरकर का हिन्दुत्व पवित्र और व्यक्तित्व विराट था। श्री मोदक आज यहां पुस्तक मेला में डाॅ उमेश अशोक कदम द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘ डिस्मेंटलिंग कास्टिज्म लेशन फ्राॅम सावरकर एसेंसियल ऑफ हिन्दुत्व ‘ के अवसर पर आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। श्री मोदक ने कहा कि सावरकर का हिन्दुत्व सीमित, जातीयता और धर्म पर आधारित नहीं था। उनका कहना था कि यदि भारत का सिक्ख, ईसाई और मुसलमान भारत को पितृभूमि स्वीकार करें तो वह उसको गले लगाने को तैयार हैं। लेकिन तथाकथित इतिहासकारों और कुछ नासमझ लोगों ने आजादी के वीर योद्धा को खलनायक बनाने की पुरजोर कोशिश की। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि खिलाफत आन्दोलन के बाद हिन्दुत्व को लेकर गलत धारणा बनाई गई। पिछले नौ वर्षों से देश की राजनीति बदली है। अब हिन्दुत्व के हिमायती सिर उठा कर जी रहे हैं। इस अवसर पर पुस्तक के सम्पादक प्रो उमेश अशोक कदम ने कहा कि पिछले 65-70 वर्षों से सावरकर को लेकर एकतरफा बातें की गई हैं। सावरकर समाज के सर्वांगीण विकास की वकालत करते थे जिसमें जाति – धर्म, छूत – अछूत, अमीर – गरीब का भेदभाव नहीं था। हमारी पुस्तक सावरकर के विचारों को समझने का पहला प्रयास है। उन्होंने किताब के बेहतरीन प्रकाशन के लिए किताब वाले प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक प्रशान्त जैन को बधाई दी। समारोह को वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राकेश मंजुल, प्रो डॉ नरेन्द्र शुक्ल और किताब वाले प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक प्रशान्त जैन ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर अनेक गण्यमान्य लोग मौजूद थे।