Dainik Athah

महापौर- 2024 चुनाव से पहले ही शुरू हुआ शह और मात का खेल

जन प्रतिनिधियों की बैठक के बाद भाजपा में बवाल

रास सांसद अनिल अग्रवाल करना चाहते हैं जनरल वीके सिंह एवं उनके परिवार को टारगेट: दिनेश गोयल

संजीव शर्मा को महापौर पद के लिए समर्थन मांगने आये थे सभी: गोयल

अनिल अग्रवाल समेत सभी विधायकों ने कहा गलत बयान दे रहे हैं दिनेश गोयल

किसी दबाव में जारी किया गया खंडन एवं प्रेस नोट

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद।
महापौर चुनाव से पहले ही भारतीय जनता पार्टी के जन प्रतिनिधियों में महापौर एवं 2024 चुनाव को लेकर जोरदार गुटबाजी शुरू हो गई है। पहले एक प्रेस नोट जारी जाता है, इसके बाद एमएलसी दिनेश गोयल अपनी तरफ से खंडन जारी कर राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल के साथ ही विधायकों को कटघरे में खड़ा करते हैं। इससे जिले के जनप्रतिनिधि स्पष्ट रूप से दो गुटों में बंट गये हॅैं। दिनेश गोयल के प्रेस नोट को सभी ने एक सुर में गलत ठहराया है।

कार्यकर्ता का सम्मान- स्वाभिमान सबसे पहले
बता दें कि शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में आस्था जताते हुए एवं पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के खिलाफ भाजपा ने देशव्यापी प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन के बाद सभी जन प्रतिनिधि राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल, विधायक सुनील शर्मा, अतुल गर्ग, अजीत पाल त्यागी, नंद किशोर गुर्जर एवं भाजपा महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा भाजपा एमएलसी दिनेश गोयल के आरकेजीआईटी स्थित कार्यालय पर चाय पर चर्चा के लिए पहुंच गये। यहां पर सभी के बीच हुई चर्चा के बाद संयुक्त रूप से प्रेस नोट जारी कर कहा गया कि अनौपचारिक वार्ता में यह निर्णय लिया गया सभासद, पार्षद, चेयरमैन एवं महापौर टिकट के लिए जो भी आवेदन कर रहे हैं इसमें कोई अपने परिवार के सदस्यों को कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए मजबूर नहीं करेगा। इसके साथ ही कहा गया कि अन्य जनप्रतिनिधियों से भी अपेक्षा है कि वे कार्यकर्ताओं के मान सम्मान एवं स्वाभिमान सुरक्षित रखें और मर्यादित व्यवहार के चलते अनुशासन का पालन करें। इसके साथ ही कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया गया कि वे अपने स्वाभिमान की रक्षा करते हुए जनप्रतिनिधियों के पारिवारिक सदस्यों से न तो मिलें और न ही उन्हें आवेदन करें। इस प्रेस नोट पर ऊपर दिये गये सभी जनप्रतिनिधियों के हस्ताक्षर है। इनमें संजीव शर्मा का नाम शामिल नहीं है।

हंगामा तो रविवार के दिनेश गोयल के प्रेस नोट (खंडन) को लेकर बरपा
रविवार को एमएलसी दिनेश गोयल ने बाकायदा खंडन जारी करते हुए कहा अनिल अग्रवाल के नेतृत्व में चारों विधायक एवं संजीव शर्मा उनके कार्यालय पर आये। इसी दौरान अनिल अग्रवाल ने कहा हम सब संजीव शर्मा की महापौर पद की दावेदारी के समर्थन में आये हैं। इस पर मैंने उनसे कहा यह तो शीर्ष नेतृत्व को तय करना है कि किस जाति का महापौर होगा। इसके साथ ही गोयल कहते हैं कि उन्होंने महसूस किया कि अनिल अग्रवाल सुनियोजित तरीके से विधायकों एवं महानगर अध्यक्ष को लेकर आये थे। उनका उद्देश्य गाजियाबाद के सांसद एवं केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह एवं उनके परिवार को टारगेट करना था। परंतु सभी का मेरे कार्यालय पर आना एवं अतिथि सत्कार की मर्यादा के कारण वे इस बात का विरोध नहीं कर सके।
दिनेश गोयल ने पूरे मामले को जनरल वीके सिंह से जोड़ते हुए कहा कि प्रत्येक जनप्रतिनिधि की उपलब्धता की अपनी परिस्थितियां होती है। यदि जनप्रतिनिधि मंत्री नहीं है तो वह सहज अपनी विधानसभा के कार्यकर्ताओं के लिए उपलब्ध होता है। जनरल वीके सिंह सांसद के साथ ही केंद्र सरकार में मंत्री है। वे लोकसभा चलने के कारण दिल्ली निवास पर कार्यकर्ताओं से मिलते हैं। सरकार एवं संगठन के काम से उन्हें बाहर जाना पड़ता है ऐसी स्थिति में उनके परिवार के सदस्य अथवा सहयोगी आवेदन नहीं लेंगे तो यह न्याय संगत नहीं होगा और न ही कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश जायेगा।

अनिल अग्रवाल ने षड़यंत्र के तहत मुझे भी अपने साथ मिलाने का प्रयास किया

एमएलसी दिनेश गोयल कहते हैं कि अनिल अग्रवाल कहीं न कहीं स्वयं को आगामी लोकसभा का दावेदार प्रस्तुत करते हैं। इसी कारण वे नहीं चाहते कि वीके सिंह एवं उनके परिवार के लोग गाजियाबाद के संपर्क में रहें। इसी योजना के तहत षड़यंत्र रच कर मुझे भी अपने साथ मिलाने का असफल प्रयास किया गया। क्यों कि मेरे संस्कार अतिथि सत्कार प्रेमी होने के कारण मैं उनकी किसी बात का विरोध नहीं कर सका। इसके साथ ही उन्होंने शनिवार को लिखे पत्र एवं उसकी भाषा से स्वयं को अलग करते हुए कहा जनरल वीके सिंह के विरूद्ध किये जा रहे किसी भी कार्य के समर्थन में ना तो था और न ही हूं। अपनी इस भावना को विधायक सुनील शर्मा एवं अजीत पाल त्यागी को फोन के माध्यम से अवगत करा दिया है।

संजीव शर्मा को महापौर बनाने पर कोई चर्चा ही नहीं हुई
दिनेश गोयल ने मेरे नाम क्यों खींचा यह मेरी समझ से बाहर है। उनके साथ चाय पर चर्चा में न तो संजीव शर्मा का और ना ही जनरल वीके सिंह का नाम आया। महापौर पद पर जनरल चर्चा हुई थी। मैं उन्हें बड़ा भाई मानता हूं। अब तो आगे से यह भी सोचना होगा कि उनके पास चाय पीने भी जाऊं या नहीं।

अनिल अग्रवाल, सांसद राज्यसभा

अनिल अग्रवाल, सांसद राज्यसभा

कार्यकर्ता हमारे बच्चों के आगे गिड़गिड़ायें यह अच्छा नहीं लगता
महापौर प्रत्याशी के लिए संजीव शर्मा या किसी अन्य के संबंध में कोई बात नहीं हुई, यह मिथ्या है। अनौपचारिक चर्चा यह हुई कि कार्यकर्ताओं के मान सम्मान के लिए उन्हें हमें खुद अटेंड करना चाहिये यह तय किया कि हमारे परिवार के लोगों को दखल नहीं देना चाहिये। कार्यकर्ताओं को भी परिवार के पास नहीं जाना चाहिये। इसमें जनरल साहब कहां से आ गये। उनके नाम की कोई चर्चा ही नहीं हुई। दिनेश जी स्वयं जनरल साहब की चर्चा कर रहे हैं। तिनका किसकी दाढ़ी में है यह पता नहीं।

सुनील शर्मा, विधायक साहिबाबाद

सुनील शर्मा, विधायक साहिबाबाद

दिनेश जी ऐसा क्यों कह रहे हैं वे ही बता सकते हैं
अनौपचारिक वार्ता में न तो संजीव शर्मा को महापौर बनाने पर कोई चर्चा हुई और न ही जनरल वीके सिंह जी का कोई नाम आया। सभी जन प्रतिनिधि महापौर भी अलग अलग लोगों को चाहते हैं। दिनेश जी बड़े भाई है और उन्होंने इस प्रकार का बयान क्यों दिया यह वे तो स्वयं ही बता सकते हैं।

अतुल गर्ग विधायक गाजियाबाद

अतुल गर्ग विधायक गाजियाबाद

महापौर पद अथवा जनरल साहब को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई
अनौपचारिक रूप से सभी लोग चाय पीने गये थे। लेकिन वहां पर न तो महापौर पद एवं न ही संजीव शर्मा के नाम पर कोई चर्चा हुई। स्थानीय सांसद जनरल वीके सिंह जी हमारे नेता हैं उनके संबंध में भी किसी प्रकार की चर्चा वहां पर नहीं हुई। दिनेश गोयल जी वरिष्ठ है और बड़े हैं वे ऐसा क्यों कह रह हैं इस संबंध में वे ही बता सकते हैं।

अतुल गर्ग विधायक गाजियाबाद

अजीत पाल त्यागी, विधायक मुरादनगर

हमें तो खुद दिनेश गोयल जी ने चाय पर बुलाया था
वे किसी दबाव में इस प्रकार के बयान दे रहे हैं। उन्होंने खुद चाय पर बुलाया था। चाय पर ही पकोड़ों के लिए जिद करने लगे कि मेरे यहां पकौड़ी बहुत अच्छी बनती है। उनके आग्रह को स्वीकार कर लिया। न तो संजीव शर्मा एवं न ही जनरल वीके सिंह के नाम इस दौरान आया था। पूरा प्रेस नोट का ड्राफ्ट दिनेश जी ने स्वयं तैयार करवाया था। उनके कार्यालय में ही टाइप हुआ था। इतना अवश्य था कि जनरल साहब से भी बात करेंगे। जनरल साहब भी विधायकों की यूनियन में शामिल है। वे राजनीति के तहत इस प्रकार का बयान दे रहे हैं।

जनरल साहब हमारे नेता हैं उनके विरोध में सोच भी नहीं सकता
विधायकों की बैठक में जो भी चर्चा हुई उसका प्रेस नोट भी दिनेश जी ने तैयार करवाया था। न तो महापौर को लेकर कोई चर्चा हुई और न ही जनरल साहब को लेकर। जनरल साहब हमारे नेता है। उनके विरोध की तो मैं तो सोच भी नहीं सकता। वह हमारे श्रद्धेय है।

संजीव शर्मा, महानगर अध्चक्ष भाजपा

संजीव शर्मा, महानगर अध्चक्ष भाजपा

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