Dainik Athah

भर्ती निकलते ही ‘महाभारत के रिश्ते’ वसूली पर निकल पड़ते थे: मुख्यमंत्री

सीएम ने चयनित 1395 प्रवक्ता व सहायक अध्यापकों को दिया नियुक्ति पत्र

दी सीख- कार्यपद्धति ही आपको पुरस्कृत करती है, बिना योग्यता के पुरस्कार पाने वाले हंसी के पात्र बनते हैं

सीएम ने कहा-यूपी के बारे में लोगों की धारणा बदली है

कहा-ट्रांसफर-पोस्टिंग के चक्कर में कतई न पड़ना

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नवचयनित अभ्यर्थी कई वर्षों से अन्य परीक्षाओं में भी शामिल हुए होंगे। योग्यता होने के बावजूद चयन नहीं हुआ होगा, क्योंकि पहले भेदभाव होता था। 2017 के पहले भर्ती में भ्रष्टाचार होता था। भर्ती के साथ ही महाभारत के सभी रिश्ते वसूली के लिए निकल पड़ते थे। पौने छह वर्षों में हमने अपराध व अपराधियों के साथ ही भ्रष्टाचार व भ्रष्टारियों के लिए भी जीरो टालरेंस की नीतियों को अपनाया, इसलिए युवा योग्यता, क्षमता व प्रतिभा के अनुरूप काम पा रहा है। ?ाष्ट्रीय स्तर की एजेंसियां विवेचना करती हैं तो मानती हैं कि यूपी में बेरोजगारी दर 19 प्रतिशत से घटकर लगभग दो प्रतिशत रह गई है। विगत पौने छह वर्ष में हमारी सरकार ने सभी बैरियर को हटाकर निष्पक्ष बनाने का प्रयास किया है, जिसमें हर प्रतिभाशाली युवा को नौकरी व रोजगार मिल सके।

सीएम ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में चयनित 1395 प्रवक्ता व सहायक अध्यापकों को रविवार को लोकभवन में नियुक्ति पत्र वितरित किया। पांचवें चरण के अंतर्गत 123 सहायक अध्यापक व 1272 प्रवक्ता के सपने साकार हुए। मिशन रोजगार के अंतर्गत सहायक अध्यापक पद पर 74 महिला व 49 पुरुष तथा प्रवक्ता पद पर 870 महिला व 402 पुरुषों को पारदर्शी प्रक्रिया के तहत नियुक्ति पत्र मिला।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी व निष्पक्ष होने पर लोकसेवा आयोग की टीम को बधाई दी। कहा कि यह प्रसन्नता का क्षण भी है कि प्रदेश का ऊजार्वान व प्रतिभाशाली युवा प्रदेश में ही योग्यतानुसार सेवाएं देने को तत्पर दिख रहा है।

अब भर्ती में नहीं आतीं भ्रष्टाचार की शिकायतें
सीएम ने कहा कि यूपी लोकसेवा आयोग की निष्पक्ष कार्यपद्धति, यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा भर्ती की प्रक्रिया, उच्चतर व माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग या अन्य भर्ती बोर्ड द्वारा की गई सभी कार्रवाई निष्पक्ष हो रही है। आज भर्ती में कोई भाई-भतीजावाद, जातिवाद व भ्रष्टाचार की शिकायत नहीं कर सकता। किसी भी सरकार का दायित्व बनता है कि ईमानदारी से प्रक्रिया को बढ़ाकर चयन में सुयोग्यतम पात्र अभ्यर्थियों को मौका मिल सके। भर्ती की हर प्रक्रिया को मिशन रोजगार के तहत बढ़ाया। उसी का परिणाम है कि जिस प्रदेश में वर्षों तक नियुक्ति नहीं हो पाती थी, वहां साढ़े 5 वर्ष में 5 लाख से अधिक सरकारी नौकरी देने में सफलता हासिल की गई। बेहतर कानून व्यवस्था के जरिए दंगामुक्त प्रदेश बनाने का वातावरण दिया, उसका परिणाम है कि यहां व्यापक निवेश हुआ। 1.61 करोड़ नौजवानों को निजी क्षेत्र में नौकरी व रोजगार देने में सफलता पाई। कई युवा स्वयं का स्टार्टअप स्थापित करना चाहते थे। बैंकों से जोड़ने की प्रक्रिया में बाधा थी, उन्हें दूर कर 60 लाख से अधिक नौजवानों व उद्यमियों को यूपी में स्वत: रोजगार से जोड़ने में सफलता पाई। आज की प्रक्रिया भी मिशन रोजगार का हिस्सा है, जिसे ?ाष्ट्रीय स्तर पर पीएम मोदी आगे बढ़ा रहे हैं। पीएम की अनुकंपा से 10 लाख से अधिक अग्निवीरों का चयन हो रहा है। केंद्र के विभिन्न विभागों में 10 लाख से अधिक युवाओं को नौकरी व रोजगार से जोड़ने की कार्रवाई को बढ़ाया जा रहा है। मिशन रोजगार के जरिए देश-प्रदेश के युवाओं के लिए अपने ही राज्य व देश में नौकरी व रोजगार की असीम संभावनाओं को बढ़ाने का कार्य हो रहा है।

नया करने के लिए प्रेरित करेगा आपका चयन
सीएम ने कहा कि आपका चयन ऐसे समय में हुआ है, जब देश व दुनिया कोरोना से लगभग उभरने की ओर अग्रसर हुई है। भारत में पहली बार हमने ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकार किया है, जो केवल पुस्तकीय ज्ञान तक छात्र को सीमित नहीं रखेगी। उसमें नवाचार, शोध व विकास की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए भी व्यापक अवसर उपलब्ध होंगे। आपका चयन भी नया करने के लिए प्रेरित करेंगे। समय की गति के अनुरूप नहीं चल पाए तो पिछड़ जाएंगे। भारत को फिर से पुरातन पहचान दे सकें। विश्वगुरु बोलने से नहीं, उसके अनुरूप रिसर्च व विकास को बढ़ाने के लिए तैयार होना होगा। यह शिक्षण संस्थानों का दायित्व बनता है कि हम उसके अनुरूप खुद को तैयार कर सकें।

स्कूल, क्लास, बच्चों व अभिभावकों के प्रति बनना होगा जवाबदेह
सीएम ने कहा कि सरकारी नौकरी लगने पर अक्सर व्यक्ति लापरवाह हो जाता है। उससे उबरने की आवश्यकता है। जैसे परिवार के प्रति जवाबदेह बनते हैं, वैसे ही स्कूल, कॉलेज, क्लास, स्वयं व बच्चों के प्रति जवाबदेह बनना होगा। क्योंकि अभिभावक आशा व विश्वास से पाल्यों को आपके पास पढ़ने भेजते हैं, लेकिन क्लास नहीं चलती या बिना बताए शिक्षक गायब होते हैं तो छात्र, समाज, अभिभावक व शासन के विश्वास से धोखा होता है।

स्कूलों में सफाई की जिम्मेदारी भी हमारी
सीएम ने कहा कि शिक्षक व छात्र होने के बावजूद स्कूलों में गंदगी दिखती है। अपना कपड़ा और घर साफ रखते हैं तो जो विद्यालय में सफाई भी हमारी जिम्मेदारी है। भवनों पर बड़े-बड़े पेड़ चिपके होते हैं, लेकिन उन्हें हटाने पर नजर नहीं जाती। विद्यालय के प्रति वही भाव हो, जो घर, देवालय व धर्मस्थलों के प्रति होता है। व्यावहारिक जीवन में जो हम करते हैं, वही संदेश देता है। आपका संदेश पहचान का आधार बनता है।

यह फील्ड आसान के साथ चुनौतीपूर्ण भी
सीएम ने कहा कि डिग्री पाकर नौकरी प्राप्त करने तक ही शिक्षक सीमित नहीं है। आपने जिस फील्ड का चयन किया, वह जितना आसान दिखता है, उतना ही चुनौतीपूर्ण है। आसान इसलिए कि लोग आपके प्रति सम्मान का भाव रखते हैं, चुनौती इसलिए कि आपको खुद को साबित करना है। आपका सबसे पहले दायित्व विद्यालय से जुड़े छात्रों के प्रति है। छात्र अच्छे अंक पा सकें, शैक्षणिक माहौल बन सके। तय करें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शैक्षिक गुणवत्ता, नवाचार व शोध के अनुरूप कैसे खुद व संस्थान को तैयार कर सकें। देश-दुनिया व समाज को लेकर हमेशा अपडेट रहना होगा। इससे आपकी अलग छवि बनेगी और लोग सम्मान के प्रतीक के रूप में देखेंगे।

शिक्षक बनने के बाद पुरस्कार के लिए लाइन न लगाएं
सीएम ने सीख दी कि शिक्षक बनने के बाद केवल पुरस्कारों के लिए लाइन न लगाएं। कार्य पद्धति ही आपको पुरस्कृत करती है। बिना कार्यपद्धति व योग्यता के पुरस्कार पाने वाले हंसी के पात्र बनते हैं। सम्मान के लिए खुद को तैयार करें, समाज व राष्ट्र की चुनौती से जूझने के लिए तैयार होना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रांतिकारी निर्णय है। शिक्षा जगत के जरिए भारत दुनिया में शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र के रूप में फिर से उभरने की ताकत रखता है। उसके लिए शिक्षकों को तैयार करना होगा।

संवाद भी नितांत जरूरी
सीएम ने कहा कि स्थानीय आवश्यकताओं के लिए भी शिक्षण संस्थानों को तैयार होना होगा। समाज, उद्योगों से संवाद नहीं है। इसलिए जब छात्र निकलता है तो डिप्लोमा व डिग्री पाने के बाद भी असमंजस में होता। इसे दूर करने का दायित्व आपका है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति नया मंच देता है। हम उद्योगों के साथ कैसे संस्था को जोड़ सकते हैं। कैसे नया कर सकते हैं। नए प्रोजेक्ट के लिए सोशल इम्पैक्ट स्टडी करनी होती है। संस्था से केवल लेते रहेंगे और अपना योगदान न दे पाए तो यह सिर्फ औपचारिकता होगी।

भर्ती में पारदर्शी प्रक्रिया आपको ईमानदारी के लिए प्रेरित करती है

सीएम ने कहा कि पौने छह वर्ष में बेसिक शिक्षा परिषद में हमने 1.26 लाख, माध्यमिक शिक्षा में शासकीय व अशासकीय सहायता प्राप्त कॉलेजों में 40 हजार से अधिक निष्पक्ष नियुक्तियां हुईं। उच्च शिक्षा, पुलिस समेत अन्य भर्तियां अलग हैं। भर्ती में पारदर्शी प्रक्रिया आपको भी जीवन व कार्यपद्धति में ईमानदारी के लिए प्रेरित करती है। तब यूपी को देश के ग्रोथ इंजन के रूप में स्थापित कर पाएंगे। ?ूपी में असीम संभावनाएं हैं, जो देश में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित कर पाएंगे। सबसे अधिक और अच्छे युवा हमारे पास हैं। उन्हें तैयार करने की जिम्मेदारी हमारी है। संस्कृत विद्यालयों में तात्कालिक रूप से मानदेय पर शिक्षकों की भर्ती कराई, साथ ही चयन की प्रक्रिया भी चलाने को कहा।

आपकी भी निष्पक्ष कार्यपद्धति झलकनी चाहिए
सीएम ने कहा कि भर्ती की प्रक्रिया युद्ध स्तर पर जारी है पर हम भी खुद को उस स्तर पर तैयार करें। शासन स्तर पर चयन से लेकर पद्स्थापन की प्रक्रिया निष्पक्ष हुई। नियुक्ति प्रक्रिया को आॅनलाइन किया गया। प्रमुख सचिव को भी पता नहीं होगा कि कौन सा अभ्यर्थी किस विद्यालय में जा रहा है। निष्पक्ष प्रक्रिया के साथ आपकी निष्पक्ष कार्य पद्धति भी झलकती दिखनी चाहिए।

यूपी के जिलों ने किया काफी विकास
सीएम ने बताया कि भारत सरकार ने नीति आयोग से कहा कि सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े जनपदों का चयन करें। नीति आयोग ने अध्ययन कर देश के 112 आकांक्षात्मक जनपदों का चयन किया। छह पैरामीटर तय हुए, शिक्षा-स्वास्थ्य, कृषि व जल संसाधन, स्किल डवलपमेंट व रोजगार, वित्तीय समावेशन था। मॉनीटरिंग हुई तो इनमें से 8 जिले यूपी के थे। 2018-19 में यूपी के ज्यादातर जिले 100 से पीछे थे। एक जनपद 108 पर था, कोई 105 पर। कोरोना महामारी के बावजूद हमने हर फील्ड में टीम के साथ कार्य किया। बिना टीम के परिणाम नहीं आते। रैंकिंग आई तो 112 में सर्वाधिक विकास करने वालों में टॉप 10 में यूपी के 5 और टॉप 20 में सभी 8 जनपद हैं। इससे पता चलता है कि सभी क्षेत्रों में बेहतर कार्य हुआ। अलग-अलग फील्ड से जुड़े लोग इस दिशा में कार्य करेंगे तो यूपी की संभावनाओं के जरिए रोजगार व नौकरी के माध्यम को बढ़ा सकते हैं। आप भी ईमानदारी व प्रतिबद्धता के साथ जिम्मेदारियों का निर्वहन कर शिक्षण संस्था को आदर्श बनाने में योगदान देंगे।

दी सीख- ट्रांसफर पोस्टिंग के चक्कर में न पड़ें
सीएम ने नवचयनितों को सीख दी कि ट्रांसफर-पोस्टिंग के चक्कर में न पड़ना। छह महीने-साल भर में तमाम बहाने बनने लगते हैं। पिछड़े जनपद में कौन जाएगा, यदि वह पिछड़े ही रह गए तो यूपी कैसे बढ़ेगा। प्रदेश बढ़ेगा तो हर प्रदेशवासी के प्रति सम्मान का भाव जागृत होगा।

पहले नौजवानों को किराये पर कमरे नहीं देते थे लोग

सीएम ने कहा कि पौने छह वर्ष पहले बाहर के लोग यूपी को अच्छे नजरिए से नहीं देखते थे। बहुत जनपदों के नौजवानों को किराये पर कमरे नहीं मिलते थे। होटल व धर्मशाला में कोई रहने नहीं देता था। कई युवाओं को फुटपाथ पर रहने को मजबूर होना पड़ता था। आज पूरी दुनिया में यूपी के लोगों को सम्मान मिल रहा है। आपको भी सामूहिक प्रयास करने होंगे, प्रयास के लिए कठिनाई व चुनौतियां आती है, लेकिन उन सभी के बीच से रास्ता निकालना पड़ेगा। उम्मीद है कि श्रेष्ठतम दायित्वों का निर्वहन करेंगे।

सीएम के समक्ष अभ्यर्थियों ने रखी अपनी बात
सलोनी गुप्ता, संगीत (कानपुर) ने बताया कि किसान की बेटी हूं। गरीबी में बचपन बीता, लेकिन मुख्यमंत्री जी की कार्यप्रणाली की बदौलत बिना पैसा दिए पारदर्शी प्रक्रिया के तहत चयन मिला। पूर्ण निष्ठा से कार्य करूंगी।
राहुल चौरसिया, संस्कृत (सुल्तानपुर) ने निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया। राहुल ने संस्कृत में श्लोक भी सुनाया।
अभिनव कुमार, भूगोल (हरदोई) ने कहा कि किसान का बेटा हूं। इसके बावजूद कुशल शासन प्रणाली की बदौलत पारदर्शी प्रक्रिया के अंतर्गत मुझे यह ऊंचाई मिली।
दीक्षा पाठक, संस्कृत (प्रयागराज) ने कहा कि शिक्षक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करता है। आपके सहनशीलता, क्षमा, धैर्य व अनुशासन जैसे गुणों को लेकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करूंगी।

सुनील कुमार यादव, हिंदी (प्रतापगढ़) ने कहा कि सपने देखना निजी मामला होता है, लेकिन वह पूरे तभी होते हैं, जब चयन निष्पक्ष ढंग से हो। आपने हमें यह अवसर उपलब्ध कराया।

मुख्यमंत्री के हाथों इन्हें मिला नियुक्ति पत्र

  • अनुपम (वाणिज्य, रायबरेली)
  • कृति चौरसिया (रसायन, लखनऊ)
  • मोहिनी सिंह (भूगोल, लखनऊ)
  • विजेंद्र सिंह (हिंदी, सीतापुर)
  • शिवम सिंह (जीव विज्ञान, अयोध्या)
  • प्रांजल ओझा (गणित, बस्ती)
  • अनुराग गौड़ (भौतिक विज्ञान, रायबरेली)
  • श्रद्धा सिंह (जीव विज्ञान, उन्नाव)
  • झ्र प्रमोद कुमार मौर्य (संस्कृत, अंबेडकरनगर)
  • नीलम कुमारी (गृह विज्ञान, प्रयागराज)
  • मो. आसिफ खान (ऊर्दू, सीतापुर)

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