मुख्यमंत्री के आदेश पर टाइगर रिजर्व, दुधवा नेशनल पार्क से पर्यटन सत्र का शुभारंभ
पहले दिन स्कूली बच्चों को मुफ्त कराई जंगल की सैर
टूरिज्म सर्किट बनाकर पर्यटन को दिया जा रहा बढ़ावा
अथाह संवाददाता
बरेली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व और दुधवा नेशनल पार्क पर्यटकों से गुलजार हो गए हैं। मंगलवार से नए पर्यटन सत्र का शुभारंभ किया गया। इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए चूका जाने वाले पर्यटकों को हरी झंडी देकर रवाना किया गया। दुधवा नेशनल पार्क बफर जोन, कर्तनिया घाट में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जंगल सफारी शुरू की गई है। प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ अरुण कुमार ने दुधवा नेशनल पार्क और प्रदेश के वन पर्यावरण जलवायु परिवहन राज्यमंत्री केपी सिंह मलिक ने पीलीभीत टाइगर रिजर्व के नए पर्यटन सीजन का फीता काटकर शुभारंभ किया।
नजदीक से वन्यजीवों का कर सकेंगे दीदार बनाए गए सुंदर हट
दुधवा नेशनल पार्क पीलीभीत टाइगर रिजर्व आने वाले पर्यटक नजदीक से वन्यजीवों का दीदार कर सकेंगे। इसके लिए सुंदर चूका बीच पर हट बनाए गए हैं। वन और सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस भी रंग रोगन कर पर्यटकों के लिए तैयार किए गए हैं। 15 दिनों की एडवांस बुकिंग दुधवा नेशनल पार्क और पीलीभीत टाइगर रिजर्व में हो चुकी है।
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए चूका, बफर जोन, कर्तनिया घाट पर इको टूरिज्म
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर पीलीभीत टाइगर रिजर्व चूका बीच से लेकर दुधवा नेशनल पार्क तक ईकोटूरिज्म सर्किट बनाया जा रहा है। चूका के अलावा दुधवा टाइगर रिजर्व बफर जोन में तीन टूरिस्ट सर्किट रहेंगे। वहां भी मंगलवार से पर्यटन का शुभारंभ किया गया। मैलानी रेंज जटपुरा बीच के रामानंदी पुल पर जंगल सफारी शुरू की गई है। कर्तनिया घाट से भी इको टूरिज्म शुरू हो गया है दुधवा टाइगर रिजर्व में भीरा रेंज, मैलानी और कर्तनिया घाट में ईकोटूरिज्म बनाया गया है।
थारू संस्कृति से परिचित होंगे पर्यटक
स्थानीय संस्कृति और स्थानीय लोगों के बनाए गए उत्पादों को पहचान दिलाने के लिए नए टूरिज्म सर्किट में खास व्यवस्था की गई है। दुधवा पर्यटन सत्र शुरू होने से आदिवासी जनजाति की थारू महिलाओं के बनाए उत्पाद सैलानियों की खास पसंद बनते हैं। उनके उत्पादों में सबसे ज्यादा अगरबत्ती, मसाले, जूट से बने बैग, डलिया, टोपी, कैप, मोबाइल बैग पर्स काफी चर्चित हैं। इन्हें सैलानी पसंद करते हैं। इससे स्थानीय उत्पादों को बाजार मिलता है। थारू संस्कृति को भी पहचान मिल रही है।