मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम आने पर सभी को लगता है कि पता नहीं बाबा को कब और किस बात पर गुस्सा आ जाये। लेकिन गाजियाबाद के उनके दौरे पर वे पूरी तरह से बदले बदले से नजर आये। पिछले साढ़े पांच वर्ष के योगी के कार्यकाल के दौरान यह पहली बार हुआ कि वे जनप्रतिनिधियों एवं भाजपा के जिला व महानगर पदाधिकारियों के साथ एक साथ बैठे ही नहीं, बल्कि उनकी बातें खुलकर सुनी।
जिनका सुझाव अच्छा था उसकी सराहना की और जिसकी गलत लगी उसे फटकार भी लगाई। जिस प्रकार उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ सीधा संवाद किया उसका संदेश बहुत दूर तक जायेगा। अब कोई सरकारी अफसर किसी भाजपा कार्यकर्ता को हिकारत भरी नजरों से नहीं देख सकेगा। अफसरशाही को उन्होंने इसके जरिये सीधा संदश दे दिया कि जन प्रतिनिधियों खासकर विधायकों एवं भाजपा पदाधिकारियों की उन्हें सुननी होगी। जबकि इससे पहले जब भी सरकारी दौरा होता था तब मुख्यमंत्री शायद ही भाजपा के पदाधिकारियों से मिले हो।
बैठक में कुल 67 लोग थे। पुलिस- प्रशासन संख्या को सीमित करना चाहता था। लेकिन महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा के प्रयासों से संख्या में कमी नहीं आई। जिस प्रकार निरीक्षण में उन्होंने कदम कदम पर विधायकों को साथ रखा और उनके साथ एक ही टेबल पर बैठ कर भोजन किया वह भी बड़ा संदेश देने वाला है। जो भाजपा कार्यकर्ता यह कहते थे कि कोई उनकी सुनता नहीं, अब जब मुख्यमंत्री ने सीधे उनकी सुनी है ऐसे में अफसरशाही की हिम्मत नहीं होगी कि वे पार्टी कार्यकर्ताओं को तव्वजो न दें। बाबा का यह रूप रंग भाजपा कार्यकर्ताओं ही नहीं विधायकों के सिर चढ़कर बोल रहा है, उनकी खुशी छुपाये नहीं छुप रही। हालांकि कुछ लोग ऐसे हैं वो भी भाजपा के ही उन्हें बाबा यह रूप कम भाया। ऐसे कौन है इसकी चर्चा फिर कभी।