… आखिर पार्टी से क्यों नहीं मिला फंड …
विधानसभा चुनाव के पहले चरण का प्रचार जोरों पर है। लेकिन पंजे वाली पार्टी का प्रचार जोर नहीं पकड़ पा रहा है। जब दरबारी लाल ने पड़ताल शुरू की तो पता चला कि पंजे वाली पार्टी ने अभी तक फंड ही प्रत्याशियों को नहीं मिला है। ऐसे में प्रत्याशियों के सामने दिक्कत है कि करें तो क्या। यदि अपनी जेब से पैसा खर्च करते हैं तो फिर पार्टी वाले सोचेंगे कि इसको पैसे की क्या आवश्यकता। यदि नहीं खर्च करते हैं तब भी परेशानी यह कि वे प्रचार में पिछड़ जायेंगे। वैसे ही पंजे वाली पार्टी के दिन ठीक नहीं चल रहे हैं। कोरोना के कारण चंदा भी कम मिल रहा है। दरबारी लाल से एक प्रत्याशी कहते हैं भाई दरबारी पार्टी ने कहीं का नहीं छोड़ा।
चुनाव चल रहा है पर नेता पर नहीं है टोपी या कोई बिल्ला…
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रथम चरण का चुनाव चरम पर है और ऐसे में राजनीतिक दल जनता के बीच जाकर चुनाव प्रचार तथा जनसंपर्क कर रहे हैं। किंतु एक राजनीतिक दल ऐसा भी है जिसके जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष तो पार्टी की टोपी पहने नजर आए किंतु कार्यकतार्ओं पर ना तो पार्टी की टोपी थी, ना ही पटका और ना ही कोई पार्टी का बिल्ला लगा था। ऐसा कुछ नजारा सपा व रालोद की संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान देखने को मिला जहां समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता तो लाल टोपी ओं में नजर आए कुछो ने पटके डाले थे किंतु रालोद कार्यकतार्ओं ने ना ही पार्टी की टोपी पहनी ना ही कोई बिला, पटका लगाया था। जब नेता को देखकर पार्टी का पता नहीं लगेगा और सामान्य व्यक्ति की तौर पर दिखाई देंगे तो ऐसे पार्टी के पदाधिकारी कैसा चुनाव प्रचार कर रहे हैं और जनता में क्या दे रहे हैं संदेश!