रैली में भीड़ कम जुटना, बसों की संख्या भी लगातार बदलती गई
आरोप तो रैली के हिसाब को लेकर भी है
तेजपाल सिंह को जिलाध्यक्ष के लिए मनाया गया
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। आखिर वहीं हुआ जिसकी आशंका थी। मात्र साढ़े चार माह में रालोद को अपना जिलाध्यक्ष बदलना पड़ा। शुरूआत से ही गुटबाजी के फेर में पड़ गये धर्मेंद्र राठी को मुरादनगर में हुई जयंत सिंह चौधरी की रैली भी ले डूबी। उनका पूरा कार्यकाल ही विवादों वाला रहा।
बता दें कि जुलाई के प्रारंभ में रालोद मुखिया चौधरी जयंत सिंह ने अजय प्रमुख को हटाकर धर्मेंद्र राठी को पार्टी का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया था। पूर्व में जिला पंचायत सदस्य रह चुके राठी को जब अचानक जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया था उस समय रालोद के पुराने कार्यकर्ता भी चौंक गये। बता दें कि उससे कुछ दिन पूर्व ही राठी ने रालोद की सदस्यता ली थी। लेकिन पार्टी जिलाध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने बसपा के पूर्व विधायक मास्टर राजपाल सिंह एवं उनके पूर्व ब्लाक प्रमुख पुत्र विपिन चौधरी को रालोद में शामिल करवाया। इसके साथ ही उनके ऊपर आरोप लगने शुरू हो गये थे कि वे विपिन को अधिक तरजीह दे रहे हैं तथा विधानसभा चुनाव में टिकिट का आश्वासन भी राठी ने दे दिया।
ब्लाक प्रमुख चुनाव में भी पार्टी की गुटबाजी सामने आ गई थी। जब पार्टी के पूर्व विधायक एवं पूर्व जिलाध्यक्ष ने भोजपुर ब्लाक में एक नामांकन करवाया तो उन्होंने कह दिया कि इसका पार्टी से कोई मतलब नहीं है। अर्थात, सीधे सीधे पूर्व विधायक सुदेश शर्मा की खिलाफत। राठी के कार्यकाल में ही एक प्रेसवार्ता में पार्टी के नेताओं में जमकर झगड़ा हुआ था। इसके बाद प्रेसवार्ता में मौजूद सभी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं का पार्टी से निलंबन भी राष्टÑीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कर दिया था। बाद में निलंबन समाप्त हुआ, लेकिन वे नेता अब भी पदों को तरस रहे हैं। हालांकि उनमें से ही अब तेजपाल सिंह चौधरी को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
रालोद सूत्रों की मानें तो मुरादनगर में हुई जयंत चौधरी की रैली में भीड़ न जुटा पाना भी धर्मेंद्र राठी के ऊपर भारी पड़ा। भीड़ जुटाने के लिए सभी को जिम्मेदारी दी जानी थी। लेकिन उन्होंने पूरी कमान अपने ही हाथ में रखी। इसके बाद बसों की संख्या को लेकर विवाद हुआ। प्रारंभ में दो सौ बसें बताई गई, जिसके बाद 97 बताई गई। सूत्रों के अनुसार जांच में 36 बसें ही मिली। उनकी गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने पर भी उनकी शिकायत की गई।
रालोद सूत्र बताते हैं कि मुरादनगर रैली के बाद जिलाध्यक्ष बदलने में इतना समय इसलिए लगा कि पार्टी नेतृत्व किसी वरिष्ठ कार्यकर्ता को इसके लिए चुना जाना था। बाद में तेजपाल सिंह को इसके लिए तैयार किया गया। तेजपाल सिंह चौधरी पुराने नेता होने के साथ ही सभी को साथ लेकर चलते हैं। यहीं कारण है कि इस बार बागडोर पुराने नेता को सौंपी गई है।
रालोद ने फिर बदला पार्टी का जिलाध्यक्ष
पूर्व राष्ट्रीय सचिव तेजपाल सिंह चौधरी तीसरी बार बनें जिलाध्यक्ष
पूर्व जिलाध्यक्ष अजय प्रमुख ने बुके भेंट कर दी तेजपाल को बधाई
राष्ट्रीय लोकदल ने एक बार फिर पार्टी का जिलाध्यक्ष बदल दिया है। धर्मेंद्र राठी को हटाकर तेजपाल सिंह चौधरी को पार्टी का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। जिलाध्यक्ष बनने के बाद तेजपाल सिंह का पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष अजय प्रमुख ने बुके भेंट कर स्वागत किया।
बता दें कि कुछ माह पूर्व ही रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह के निर्देश पर पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष चौधरी यशवीर सिंह ने अजय प्रमुख को हटाकर धर्मेंद्र राठी को पार्टी का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया था। राठी को लेकर लगातार पार्टी नेतृत्व के पास शिकायतें जा रही थी। जिसके बाद चौधरी यशवीर सिंह ने गुरुवार को तेजपाल सिंह चौधरी को पार्टी का जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिया। इससे पहले तेजपाल सिंह रालोद के राष्ट्रीय सचिव रह चुके हैं। जैसे ही यह खबर रालोद नेताओं व कार्यकर्ताओं को मिली उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। तेजपाल सिंह ने कहा कि पार्टी के राष्टÑीय अध्यक्ष जयंत सिंह चौधरी ने उनके ऊपर जो विश्वास जताया है उसके लिए उनका आभार।
सबसे पहले पूर्व जिलाध्यक्ष अजय प्रमुख अपने समर्थकों के साथ तेजपाल सिंह के निवास पर पहुंचे तथा बुके भेंट कर उनका स्वागत किया। उनके साथ विनीत चौधरी, सत्येंद्र तेवतिया, हिमांशु तेवतिया जिलाध्यक्ष छात्र सभा, लक्षित तेवतिया, अनुभव चौधरी समेत अन्य लोग थे।